रायपुर। छत्तीसगढ़ के कांकेर में पत्रकार कमल शुक्ला के साथ हुई मारपीट की घटना के बाद पत्रकारों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है। पत्रकार जगत ने कड़े शब्दों में घटना की निंदा की है। सोशल मीडिया में भी पत्रकार के साथ एक नेता की गुंडागर्दी का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। वीडियो में साफ़ में दिख रहा है कि किस प्रकार एक नेता अपने पॉवर का दुरूपयोग कर खुलेआम सड़क में एक वरिष्ठ पत्रकार के साथ अभद्र गाली-गलौज कर मारपीट पर उतारू हो गया।

अब देखना ये होगा कि सरकार मामले में क्या कार्यवाही करती है?

नेता की गुंडागर्दी यहीं नहीं थमी, बल्कि लगातार अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर दबंगई दिखाता रहा। पत्रकार के साथ हुई इस निंदनीय घटना के बाद अब देखना ये होगा कि सरकार मामले में क्या कार्यवाही करती है? क्या राज्य में खुलेआम गुंडाराज को बढ़ावा मिलते रहेगा? आखिर पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने में क्यों देरी की जा रही है?

प्रेस क्लब अध्यक्ष दामू आम्बेडारे ने की कड़े शब्दों में निंदा, बोले- तत्काल पत्रकार सुरक्षा कानून लागू हो

रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार दामू आम्बेडारे ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए सरकार से तत्काल पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कांकेर में पत्रकार के साथ हुई मारपीट की घटना से सारे पत्रकार साथियों में रोष व्याप्त है। ऐसी घटना असहनीय और निंदनीय है। जिले के प्रेस क्लब अध्यक्ष को तत्काल मामले की पूरी जानकारी लेकर ठोस कदम उठाना चाहिए।

पत्रकारों की सुरक्षा ही हमारी पहली प्राथमिकता है। पत्रकारों के साथ ऐसी घटनाओं को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमारी सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाए।

पूर्व प्रेस अध्यक्ष के के शर्मा ने घटना को बताया दुर्भाग्यजनक, बोले- पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने में आखिर देरी क्यों?

रायपुर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण कुमार शर्मा ने भी कांकेर के पत्रकार पर हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए घटना को दुर्भाग्यजनक बताया है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल के लोग ठेकेदारी कर रहे हैं। अधिकारी के साथ मिलकर ये ठेकेदार भ्रष्टाचार करने में लगे हुए हैं। ऐसे में जब पत्रकार इनकी पोल खोलता है या भ्रष्टाचार को उजागर करता है, तो उसके बीच सड़क पर साथ मारपीट और गुंडागर्दी की जाती है।

राज्य में पत्रकार खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। आज से तीन साल पहले 2 अक्टूबर 2017 को हमने राज्य में पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर राजभवन तक पैदल मार्च कर आवाज उठाई थी। सरकार के घोषणा पत्र में भी पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने का वादा शामिल है, इसके बावजूद इसमें इतनी देरी समझ से परे है?

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