विश्व भारती का दीक्षांत समारोह में बोले पीएम मोदी- पुरानी बेड़ियों को तोड़ती है नई शिक्षा नीति
विश्व भारती का दीक्षांत समारोह में बोले पीएम मोदी- पुरानी बेड़ियों को तोड़ती है नई शिक्षा नीति

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के विश्वभारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। इस मौके पर बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद रहे।

मोदी ने छात्रों को संबोधित करते हुए एजुकेशन और स्किल पर जोर दिया। साथ ही आतंकवाद पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आप क्या करते हैं, इस बात पर निर्भर करता है कि आपका माइंडसेट कैसा है।

साथ ही स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देश के युवा में भविष्य को बदलने की शक्ति है। उन्होंने कहा कि सफलता-असफलता हमारा भविष्य तय नहीं करती है। इसलिए आपको फैसला लेने में डरना नहीं चाहिए।

मोदी के भाषण की अहम बातें

शिक्षा नीति सेल्फ इंप्लॉयमेंट को बढ़ावा देती है

  • भारत की आत्मनिर्भरता, देश की बेटियों के आत्मविश्वास के बिना संभव नहीं है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार जेंडर इन्क्लूजन फंड की भी व्यवस्था की गई है।
  • हाल ही में सरकार ने देश और दुनिया के लाखों जर्नल्स की फ्री एक्सेस अपने स्कॉलर्स को देने का फैसला किया है। इस साल बजट में भी रिसर्च के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से आने वाले 5 साल में 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव रखा है।
  • ये शिक्षा नीति आंत्रेप्रेन्योरशिप, सेल्फ इंप्लॉयमेंट को भी बढ़ावा देती है। ये शिक्षा नीति रिसर्च को, इनोवेशन को बढ़ावा देती है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में ये शिक्षा नीति भी एक अहम पड़ाव है।

पुरानी बेड़ियों को तोड़ती है नई शिक्षा नीति

  • आज भारत में जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, वो भी पुरानी बेड़ियों को तोड़ने के साथ ही, विद्यार्थियों को अपना सामर्थ्य दिखाने की पूरी आजादी देती। ये शिक्षा नीति आपको अलग-अलग विषयों को पढ़ने की आजादी देती है। ये शिक्षा नीति, आपको अपनी भाषा में पढ़ने का विकल्प देती है।
  • गुरुदेव ने विश्वभारती में जो व्यवस्थाएं विकसित कीं, जो पद्धतियां विकसित कीं, वो भारत की शिक्षा व्यवस्था को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करने, उन्हें आधुनिक बनाने का एक माध्यम थीं।
  • इसी पुस्तक में विलियम एडम का भी जिक्र है जिन्होंने ये पाया था कि 1830 में बंगाल और बिहार में एक लाख से ज्यादा विलेज स्कूल्स थे।

आपकी स्किल राष्ट्र को गौरवान्वित भी कर सकती है और बदनाम भी कर सकती है

  • आपका ज्ञान, आपकी स्किल, एक समाज को, एक राष्ट्र को गौरवान्वित भी कर सकती है और वो समाज को बदनामी और बर्बादी के अंधकार में भी धकेल सकती है। इतिहास और वर्तमान में ऐसे अनेक उदाहरण हैं।
  • जिस प्रकार, सत्ता में रहते हुए संयम और संवेदनशील रहना पड़ता है, उसी प्रकार हर विद्वान को, हर जानकार को भी उनके प्रति ज़िम्मेदार रहना पड़ता है जिनके पास वो शक्ति नहीं है। आपका ज्ञान सिर्फ आपका नहीं बल्कि समाज की, देश की धरोहर है।
  • आपको ये भी हमेशा याद रखना होगा कि ज्ञान, विचार और स्किल, स्थिर नहीं है, ये सतत चलने वाली प्रक्रिया है। और इसमें कोर्स करेक्शन की गुंजाइश भी हमेशा रहेगी। लेकिन नॉलेज और पावर, दोनों रिस्पॉन्सिबिलिटी के साथ आते हैं।

सफलता और असफलता हमारा वर्तमान और भविष्य तय नहीं करती

  • अगर आपकी नीयत साफ है और निष्ठा मां भारती के प्रति है, तो आपका हर निर्णय किसी ना किसी समाधान की तरफ ही बढ़ेगा। सफलता और असफलता हमारा वर्तमान और भविष्य तय नहीं करती। हो सकता है आपको किसी फैसले के बाद जैसा सोचा था वैसा परिणाम न मिले, लेकिन आपको फैसला लेने में डरना नहीं चाहिए।
  • ये सिर्फ विचारधारा का प्रश्न नहीं है, बल्कि माइंडसेट का भी विषय है। आप क्या करते हैं, ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपका माइंडसेट पॉजिटिव है या नेगेटिव है।
  • आप देखिए, जो दुनिया में आतंक फैला रहे हैं, जो दुनिया में हिंसा फैला रहे हैं, उनमें भी कई हाइली लर्न्ड, हाइली स्किल्ड लोग हैं। दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं जो कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से दुनिया को मुक्ति दिलाने के लिए दिनरात प्रयोगशालाओं में जुटे हुए हैं।

दुनिया में आतंक फैला रहे, उनमें भी कई हाईली स्किल्ड हैं

  • प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास और वर्तमान में ऐसे अनेक उदाहरण हैं। आप देखिए…जो दुनिया में आतंक फैला रहे हैं, जो दुनिया में हिंसा फैला रहे हैं, उनमें भी कई हाईली एजुकेटेड, हाईली लर्नेड, हाईली स्किल्ड लोग हैं।
  • दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं जो कोरोना जैसी महामारी से दुनिया को मुक्ति दिलाने के लिए दिन रात अपनी जान की बाजी लगाकर अस्पतालों में डटे रहते हैं। प्रयोगशालाओं में जुटे हुए हैं। ये सिर्फ विचारधारा का प्रश्न नहीं है। मूल बात तो माइंडसेट की है।
  • मोदी ने कहा कि आप क्या करते हैं, इस बात पर निर्भर करता है कि आपका माइंडसेट पॉजिटिव है या निगेटिव है। स्कोप दोनों के लिए है। रास्ते दोनों के लिए ओपन हैं। आप समस्या का हिस्सा बनना चाहते हैं या फिर समाधान है। ये तय करना हमारे अपने हाथ में होता है।

गुरुदेव ने लिखा था- देश को एकसूत्र में पिरोना है

  • विश्व भारती तो अपने आप में ज्ञान का वो उन्मुक्त समंदर है, जिसकी नींव ही अनुभव आधारित शिक्षा के लिए रखी गई। ज्ञान की, क्रिएटिविटी की कोई सीमा नहीं होती, इसी सोच के साथ गुरुदेव ने इस महान विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
  • जब आप अपने कैंपस में बुधवार को ‘उपासना’ के लिए जुटते हैं, तो  स्वयं से ही साक्षात्कार करते हैं। जब आप गुरुदेव द्वारा शुरू किए गए समारोहों में जुटते हैं, तो स्वयं से ही साक्षात्कार करते हैं।
  • गुरुदेव कहते थे- हे श्रमिक साथियों, जानकर साथियों, हे समाजसेवियों, हे संतों, समाज के सभी जागरूक साथियों। आइये समाज की मुक्ति के लिए मिलकर प्रयास करें।

विश्व भारती सिर्फ ज्ञान देने वाली एक संस्था मात्र नहीं है

  • गुरुदेव टैगोर ने जो एकता का संदेश दिया, उसे कभी ना भूलें। गुरुदेव ने इस विश्वविद्यालय में भारत की आत्मा को जिंदा रखा और उसकी पहचान को आगे बढ़ाया।
  • गुरुदेव टैगोर के लिए विश्व भारती सिर्फ ज्ञान देने वाली एक संस्था मात्र नहीं थी। ये एक प्रयास है भारतीय संस्कृति के शीर्षस्थ लक्ष्य तक पहुंचने का।
  • आप सिर्फ एक विश्वविद्यालय का ही हिस्सा नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत परंपरा का हिस्सा भी हैं। गुरुदेव अगर विश्व भारती को सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के रूप में देखना चाहते, तो वो इसे ग्लोबल यूनिवर्सिटी या कोई और नाम दे सकते थे, लेकिन उन्होंने इसे विश्व भारती विश्वविद्यालय नाम दिया।

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