रायपुर :- नकली कीटनाशक की वजह से दुर्ग के किसान की आत्महत्या को अभी ज्यादा दिन नहीं गुजरे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार के कुछ विभागों का फर्जी कंपनियों के प्रति लगाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। कभी जिस कंपनी के प्रोडक्ट की खामियों को देखते हुए उसपर बैन लगाया गया था, न जाने क्यों उसी कंपनी को ही वर्क ऑर्डर दिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं विभाग भी उनके साथ लगातार काम कर रहा है।

क्या है पूरा मामला

दरअसल त्रिमूर्ति प्लांट साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी है जो प्रदेश सरकार को बीज और उर्वरक देने का काम करती हैं। कुछ समय पहले ही छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लिमिटेड, द्वारा इस कंपनी के प्रोडक्ट में खामी के चलते पहले ही ब्लैक लिस्ट किया गया था। बावजूद इसके यह कंपनी लगातार प्रोडक्ट सप्लाई कर रही है और बड़ी बात यह है कि बीज निगम उसे खरीद भी रहा है।

क्या कहता है कानून

इस विषय पर कानून बड़ा साफ है। अगर कंपनी का कोई भी प्रोडक्ट गुणवत्ता मानकों पर खरे ना उतरे तो पूरी कंपनी को ब्लैक लिस्ट करके 5 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखाया जाता है। लेकिन इस मामले में ऐसा होता हुआ नजर नहीं आया।

ऐसे हुआ था फर्जीवाड़ा

बता दें कि त्रिमूर्ति प्लांट साइंस प्राइवेट लिमिटेड ने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के बीज डीएनए को खुद का डीएनए बता कर प्रदेश सरकार को सप्लाई किया था। इस फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ और कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया।

पहले हुई कार्रवाही तो अब क्यों नहीं

बीज निगम में फर्जीवाड़े का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी श्रीराम बायोसीड व श्रीराम फर्टिलाइजर्स लिमिटेड के कार्यों में कई अनियमितताएं पाई गई थी। उस दौरान समीर विश्नोई (आईएएस) ने कार्यवाही की थी और एक प्रोडक्ट के चलते पूरी कंपनी पर बैन लगा दिया गया था। जो आज की दिनांक तक लागू है।

सुलगते सवाल

लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों इस कंपनी पर कोई कार्रवाही की जाती। इसका जवाब कंपनी के मालिकों के रसूक में छिपा है। दरअसल यह कंपनी प्रदेश के कद्दावर राजनैतिक हस्ती की है शायद यही कारण है कि सचिव हो या विभाग के संचालक सभी के मुँह में दही जमी है। TRP के लगातार फ़ोन पर संपर्क करने के बाद भी कोई उत्तर नहीं मिल रहा है ।

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