Smart City Project Water ATM
वाटर एटीएम बने शोपीस... 1 करोड़ 88 लाख खर्च करने के बावजूद प्यासे लौट रहे शहरवासी

दामिनी बंजारे 

रायपुर। राजधानी को स्मार्ट सिटी बनाने की सोच के साथ वर्ष 2015 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों की लागत से कई प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए।

आम लोगों को बेहतर सुविधाएं देने के उद्देश्य से 16 प्रोजेक्ट में काम आरंभ किया गया। स्मार्ट सिटी मिशन एवं नगर निगम द्वारा शहर में नेकी की दीवार, तेलीबांधा झील शुद्धिकरण और कायाकल्प, शहीद स्मारक, टाउन हॉल, नालंदा परिसर, हेरिटेज वॉक, आनंद समाज पुस्तकालय, बापू की कुटिया, इंटर स्टेट बस टर्मिनल, वाटर एटीएम, आईटीएमएस, साइकिल ट्रैक, मल्टी लेवल पार्किंग, तालाबों का विकास, जवाहर बाजार समेत कई योजनाएं हैं। जो कहीं न कहीं शुरू तो हो चुकी हैं मगर आज भी ये बदहाल हैं। आज टीआरपी की टीम इस भाग में आपको स्मार्ट सिटी की एक योजना वाटर एटीएम की जमीनी हकीकत से आपको रूबरू करवा रही है।

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में लोगों की सुविधाओं में इजाफ करने हेतु वाटर एटीएम को शामिल किया गया था। जिसका मकसद था कि गर्मी के मौसम में किसी भी राहीगरों को शुद्ध व ठंडा पानी मिल सके।

इन स्थानों पर लगे हैं वाटर एटीएम

आज से तीन वर्ष पहले शहर के 20 स्थानों पर एक करोड़ 88 लाख रुपए की लागत से नगर निगम ने वाटर एटीएम लगाए गए। जिनमें कलेक्ट्रेट परिसर, सरस्वती नगर थाना, मोतीबाग, सेंट्रल लाइब्रेरी, टाटीबंध, पंडरी बस स्टैंड, भगत सिंह चौक, इंडोर स्टेडियम आदि 20 जगह एटीएम लगाए गए।

केवल शोपीस बनकर रह गए 1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, प्यासे लौट रहे शहरवासी
 1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, प्यासे लौट रहे शहरवासी (कोर्ट परिसर )

वाटर एटीएम बने शोपीस

मगर शुभारंभ के कुछ दिन बाद से ही न तो इन वाटर एटीएम ने राहीगरों की प्यास बुझाई और न ही प्रशासन ने इसकी सुध ली। नतीजन आज तीन साल बीतने के बाद ये वाटर एटीएम केवल शोपीस बनकर सड़क की शान बढ़ा रहे हैं। वहीं स्मार्ट सिटी रायपुर के प्रोजेक्ट के तहत दो वाटर एटीएम की जानकारी सम्बंधित अधिकारी ने दी है जिसमें दो अलग-अलग क्षमता वाले वाटर एटीएम को लगाया गया था। जिसमें एक हजार आईपीएच क्षमता वाले वाटर एटीएम की कीमत 9 लाख 40 हजार थी और 100 आईपीएच वाले एटीएम की लागत आठ लाख नब्बे हजार थी। ये दोनों वाटर एटीएम भी अव्यवस्था के चलते सड़क पर धूल खा रहे हैं।

केवल शोपीस बनकर रह गए 1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, प्यासे लौट रहे शहरवासी
 1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, प्यासे लौट रहे शहरवासी (कोर्ट परिसर )

नहीं कराई गई बिजली मुहैया

जब वाटर एटीएम की पड़ताल की गई तो पाया इन्हें बिजली कनेक्शन नहीं मिल पाया है। जिससे पानी को ठंडा करने वाली मशीनें ही चालू नहीं है। बिजली की वजह से पूरा प्रोजेक्ट ही विफ़ल हो गया। बताया गया था कि नगरीय प्रशासन विभाग ने साफ नहीं किया था कि वाटर एटीएम का बिजली बिल कौन भरेगा। नतीजा ये हुआ कि राजधानी के 20 और प्रदेश भर के 150 वाटर एटीएम लाखों की कीमत से केवल बनें मगर सुचारू नहीं हो पाए।

केवल शोपीस बनकर रह गए 1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, प्यासे लौट रहे शहरवासी
 1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, प्यासे लौट रहे शहरवासी (कोर्ट परिसर )

पहले भी लग चुका है आरोप

वाटर एटीएम के संचालन को लेकर पहले ही निगम पर आरोप लग चुका है। दरअसल वाटर एटीएम की मरम्मत करने के लिए दुर्ग की एक निजी कंपनी को सात साल का ठेका है। मशीनों के रखरखाव की जिम्मेदारी कंपनी की ही है। कंपनी को तीन साल में पांच लाख रुपए से अधिक का भुगतान किया गया है। मगर बंद पड़े वाटर एटीएम तो अलग की कहानी बयां कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब वाटर एटीएम चालू ही नहीं हुए तो निगम तीन साल से कंपनी को भुगतान क्यों कर रहा है। वहीं कंपनी ठेके बदले भुगतान लेकर क्या कर रही है।

केवल शोपीस बनकर रह गए 1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, प्यासे लौट रहे शहरवासी
 1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, प्यासे लौट रहे शहरवासी 

केस- 1 (मोतीबाग उद्यान)

एक साल बंद

शहर के व्यस्ततम रोड पर मोतीबाग उद्यान के गेट के सामने लगाया गया वाटर एटीएम करीब एक साल बंद है। जबकि चौराहा होने की वजह से यहाँ लोगों की आवाजाही बनी रहती है। वहीं सुभाष स्टेडियम भी करीब है जिसके चलते यहां खिलाड़ियों का भी जमावड़ा रहता है। फिर भी इस संबंध में निगम के अधिकारियों को इसके बारे में जानकारी नहीं है।

केवल शोपीस बनकर रह गए 1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, प्यासे लौट रहे शहरवासी
 1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, प्यासे लौट रहे शहरवासी (कलेक्टोरेट गार्डन )

केस – 2 (कलेक्टोरेट गार्डन)

बेकार पड़ा वाटर एटीएम

कलेक्टोरेट गार्डन में निगम एवं स्मार्ट सिटी ने वाटर एटीएम लगाया था। जो पिछले कई महीनों से बंद है। कभी घंटों लाइट नहीं होती जिसकी वजह से ठंडे पानी की उम्मीद करना ही बेकार है। महीनों से एटीएम बंद है और न ही उसकी सही से देखरेख की जा रही है।

केवल शोपीस बनकर रह गए 1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, प्यासे लौट रहे शहरवासी
1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, (कापा मोवा)

केस – 3 (कापा मोवा)

टंकी की नहीं हो रही सफाई

कापा मोवा में वाटर एटीएम लगाया गया है, लेकिन इसका देखरेख नहीं किया जा रहा है। कई सालों से पानी की टंकी की सफाई भी करना निगम भूल गया है। नतीजन टंकी में काई जमने लगी है। इस क्रम की पार्षद से भी शिकायत की गई, लेकिन इस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। मोवा क्षेत्र के रहवासियों का कहना है कि पार्षद ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो निगम में भी इसकी शिकायत की गई। मगर अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया। मजबूरन लोग गंदा पानी पी रहे हैं।

केवल शोपीस बनकर रह गए 1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, प्यासे लौट रहे शहरवासी
1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, प्यासे लौट रहे शहरवासी (कलेक्टोरेट गार्डन )

केस – 4
कोर्ट परिसर

जर्जर हालत में टंकी

कोर्ट परिसर में लगा वाटर एटीएम जो अब खराब होने से शोपीस बना हुआ है। यहां आने वालों के अलावा आसपास के लोग शुद्ध पानी पीने के लिए रुकते थे। मगर तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि किस तरह आज यह मशीन जर्जर पड़ी हुई है। साथ ही टंकी से बह रहे गंदे पानी की वजह से यहा टंकी में काई जमने लगी है। इस पर जब आसपास के लोगों से बात की गई तब ये बात सामने आई की ये लम्बें समय से ही बंद है।

केवल शोपीस बनकर रह गए 1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, प्यासे लौट रहे शहरवासी
1 करोड़ 88 लाख रुपए की कीमत के वाटर एटीएम, प्यासे लौट रहे शहरवासी (कोर्ट परिसर)

नोटः टीआरपी की टीम स्मार्ट सिटी सर्जरी के नाम से आपके समक्ष कई योजनाओं की हकीकत इसी तरह अलग-अलग भागों में लेकर आ रही है। इन योजनाओं के संबंध में जानने के लिए हमसे आगे भी जुड़े रहें और इसकी अगली कड़ी भी जरूर पढ़ें।

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