सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की जिम्मेदारी उठाए जिला प्रशासन, बुनियादी जरूरतें पूरी करें 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की जिम्मेदारी उठाए जिला प्रशासन, बुनियादी जरूरतें पूरी करें 

नई दिल्ली। कोरोना काल में बहुत से बच्चे अनाथ हो गए हैं। कई बच्चों की मां चली गईं तो कई के पिता खत्म हो गए। ऐसे में देश में कई बच्चों के सामने खाने-पीने से लेकर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। बड़ी संख्या में बच्चे बेघर हो गए हैं।इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों में जिला प्रशासन को जिम्मेदारी लेने का निर्देश जारी किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जिला प्रशासन कोरोना की वजह से माता-पिता को खोने वाले बच्चों की जिम्मेदारी लें। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी के माता या पिता की इस दौरान मृत्यु हो गई तो प्रशासन अपने स्तर पर तुरंत उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरी करें।

राष्ट्रव्यापी डाटा करे तैयार, शनिवार तक करें अपलोड

शीर्ष अदालत ने कहा है कि कोई बच्चा भूखा ना रहे, इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकारों को पूरी करनी है। कोर्ट ने कहा, हम नहीं जानते कि कितने बच्चे सड़कों पर भूखे मर रहे हैं। हम उनकी उम्र नहीं जानते। हम सोच भी नहीं सकते कि इतने बड़े देश में उनके साथ क्या हो रहा होगा।  सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रव्यापी डेटा भी पेश करने के लिए कहा है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जिला प्रशासन को अनाथ बच्चों की पहचान करने और उनका डाटा एनसीपीसीआर की वेबसाइट पर शनिवार शाम तक अपलोड करने का भी निर्देश दिया है।

गौरतलब है की कोरोना संक्रमण के कारण कई बच्चे अपने माता-पिता को खो दिए। ऐसे में उनके सामने भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है। छत्तीसगढ़ सहित कई राज्य सरकारों ने जिम्मेदारी उठाने की घोषणा की है, वहीं अब देश की शीर्ष अदालत ने इसके लिए निर्देश जारी किया है।

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