रायपुर। छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्यौहार पोला (Pola, the traditional festival of Chhattisgarh)30 अगस्त को मनाया जाएगा। पोला के मौके पर गांवों में किसान (Farmers in villages) अपने -अपने बैलों को खूब सजाते हैं(They decorate their bulls a lot)। उसके बाद उनकी दौड़ का आयोजन किया जाता है। तो वहीं पोला के मौके पर बच्चे भी मिट्टी के बैलों को लेकर खेलते हैं(Children also play with mud bulls)। कालीबाड़ी में कुम्हारों की दुकानों में मिट्टी के बैल(Clay bulls in potters’ shops) बिकने के लिए आ गए हैं। रायपुर शहर के रावणभाठा मैदान भाठागांव में दिन के 2 बजे बैलों की साज-सज्जा और दौड़(Oxen decor) को लेकर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। सोमवार को ये जानकारी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव एवं विकास समिति के संयोजक माधव लाल यादव और जय सोनकर ने दी।

क्या-क्या होगा रावणभाठा मैदान में:

उन्होंने बताया कि इस अवसर पर महिलाएं पोरा पटकने की रस्म भी अदा करती हैं। पूरे मैदान में मेला जैसा माहौल रहता है । बैल सजाओ प्रतियोगिता हेतु कृषि मंत्री छत्तीसगढ़ शासन रविंद्र चौबे को प्रतियोगिता में शामिल होने का न्यौता दिया गया है।

कितने का मिलेगा पुरस्कार:

प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार 3100 रुपए, द्वितीय पुरस्कार 2100, तृतीय पुरस्कार1500 व शील्ड प्रदान की जाएगी । इसके साथ ही बैल दौड़ प्रतियोगिता में 3000 रुपए प्रथम पुरस्कार, दूसरा पुरस्कार 2000 रुपए, तीसरा पुरस्कार 1500 रुपए नकद दिया जाएगा । इसके अलावा सांत्वना पुरस्कार भी दिया जाएगा । शहर के बाहर से आने वाले बैलों के मालिकों को निश्चित 1000 सांत्वना राशि दी जाएगी ।

कालीबाड़ी के फुटपाथ पर बिकने आए बैल:

मिट्टी के बैल बड़ी तादाद में कालीबाड़ी के फुटपाथ पर बिकने आए हैं। यहां उनके खरीदार भी आने लगे हैं। तो वहीं महिला विक्रेता ने बताया कि मिट्टी का दाम बढ़ जाने के कारण अब बैलों को बनाने में काफी ज्यादा लागत आ रही है। इसके अलावा वहीं अब पहले की अपेक्षा खरीददार भी काफी कम हो गए हैं। इसके कारण ज्यादा तादाद में बैलों को नहीं बनाते हैं। पुराने दिनों को याद करते हुए उसने बताया कि उन दिनों तो तीन महीने पहले से ही काम में लग जाया करते थे। घर के दो-तीन लोग काम करते थे तब भी आपूर्ति की मांग को पूरा नहीं कर पाते थे।

इस मौके पर समिति के सदस्य जय सोनकर ,भूपेंद्र साहू ,डॉ मनोज ठाकुर, दुर्गेश बघेल ,जोहत राम सोनकर, डॉक्टर जीवन जल छत्री और ब्रह्मा सोनकर शामिल थे।

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