रायपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat Scheme) की आड़ में हेल्थ इंशोरेंस कंपनी (Health insurance company) करोड़ों के वारे न्यारे कर रही है। योजना के तहत लगीं इंशोरेंस लॉबी ने महज एक साल में राज्य शासन को करीब 9 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया है। हेल्थ इंशोरेंस कंपनी ने खुद के फायदे के लिए नियमों को दरकिनार कर युक्रेन से पास हुए एमबीबीएस डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है। जो आजतक एमसीआई की परीक्षा में फेल होते आ रहे हैं।

कुल 66 मेडिकल ऑफिसर नियुक्त

अगर इंशोरेंस कंपनी (Health insurance company) भारत में पास हुए किसी एमबीबीएस डॉक्टर (MBBS Doctor) को जिला चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त करती है तो उन्हों लाखों का पैकेज बतौर वेतन देना पड़ता। मगर युक्रेन से पास आउट डॉक्टर कम वेतन में ही मेडिकल ऑफिसर के रूप में काम कर रहे हैं। वर्तमान में कुल 61 मेडिकल ऑफिसर हैं। जिनमें 33 एमबीबीएस, 15 बीडीएस व 3 बीएएमएस हैं। अधिकांश डॉक्टरों ने एमबीबीएस की डिग्री युक्रेन रशिया से पूरी की है। आज तक ये एमसीआई की परीक्षा भी पास नहीं कर सके हैं।

क्या है नियम

आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheme) के तहत बनाए गए एमओयू (MOU) के अनुसार राज्य में प्रत्येक 15 प्राइवेट अस्पताल पर एक जिला चिकित्सा अधिकारी की नियुक्ति की जाना है। जिनका एमबीबीएस पास होना आवश्यक है। जो कि राज्य में इस योजना के संचालन हेतु जिम्मेदार होंगे साथ ही उनपर मेडिकल ऑडिट (Medical Audit) की भी जिम्मेदारी होगी। मगर इंशोरेंस कंपनी ने ऐसा एमओयू तैयार किया जिसमें केवल एमबीबीएस पास का ही जिक्र है। एमओयू में एमसीआई (MCI) के नियमों का कहीं भी उल्लेख नहीं है।

कहां हो रहा खेल

इंशोरेंस कंपनी ने आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheme in Chhattisgarh) के तहत विरोधाभास एमओयू तैयार किया। जिसके तहत प्रदेश के जिलों में मेडिकल ऑफिसर की नियुक्ति तो कर दी गई। लेकिन वे एमसीआई से मान्य एमबीबीएस डॉक्टर नहीं हैं। अधिकांश चिकित्सकों युक्रेन से एमबीबीएस की डिग्री ली है। जबकि भारतीय चिकित्सा नियमों के तहत उन्हें एमसीआई से मान्य होने के लिए परीक्षा पास करनी होगी। मगर कई चिकित्सक ऐसे हैं जो सालों से एमसीआई की परीक्षा में बैठ तो रहे हैं। मगर पास नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में इन मेडिकल ऑफिसरों की नियुक्ति पर ही कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

इंशोरेंस लॉबी है सक्रिय

प्रदेश में इंशोरेंस लॉबी काफी समय से छत्तीसगढ़ सरकार को लाखों का नुकसान पहुंचा रही है। प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना का संचालन 2018 से किया जा रहा है। तब से राज्य में इस योजना के नोडल अधिकारी विजेंद्र कटरे (Vijendra Katre) हैं। जब से प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना का संचालन शुरू किया गया तब इसकी जिम्मेदारी भी विजेंद्र कटरे को ही दे दी गई। ये वहीं विजेंद्र कटरे हैं जिनके कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए थे। इंशोरेंस कंपनी के साथ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी मिलकर इस भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं। जिसके चलते महज एक साल में ही राज्य सरकार को 9 करोड़ का नुकसान हुआ है।

स्वास्थ्य विभाग अधिकारी का ही करवा दिया तबादला

स्वास्थ्य विभाग की पूर्व संचालक शिखा राजपूत ने स्वयं इस मामले की जांच की तो इंशोरेंस लॉबी ने उन्हें ही घेर लिया। जिसके बाद उनका तबादला बेमेतरा कलेक्टर के रुप में कर दिया गया। अब उनपर ही विभागीय जांच बैठा दी गई है। वर्तमान में पुनः स्वास्थ्य बीमा योजना के नेडल अधिकारी विजेंद्र कटरे को बना दिया गया है। जिसके बाद से पुनः इंशोरेंस कंपनी ने अपना खेल शुरू कर दिया है। इंशोरेंस लॉबी के इस खेल में स्वास्थ्य विभाग शामिल है यही नहीं इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने चुप्पी साध ली है। इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग की सचिव निहारिका बारीक (Secretary of Health Niharika Barik) भी किसी तरह का बयान देने से बच रही हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

– इस मामले के संबंध में जानकारी कुछ दिन पहले ही अधिकारियों को दी है।
डॉ. श्रीकांत राजिमवाले
रजिस्ट्रार, स्टेट फार्मेसी काउंसिल– राज्य में स्वास्थ्य विभाग ने हेल्थ इंशोरेंस कंपनी को छूट दे रखी है। शासन स्तर पर इस मामले में कार्रवाई होनी चाहिए।
डॉ राकेश गुप्ता
चेयरमैन, हास्पिटल बोर्ड (आईएमए)

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