नेमावर हत्याकांड को लेकर गरियाबंद में आदिवासियों ने किया प्रदर्शन, आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने की मांग

गरियाबंद। मध्य प्रदेश के देवास जिले के नेमावर हत्याकांड मामले की सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज से जांच, आरोपियों को फांसी की सजा और पीड़ित परिवार को 1 करोड़ रुपये के मुआवजा देने की मांग को लेकर 1 हजार से भी ज्यादा संख्या में जिला मुख्यालय पहुंचे आदिवासियों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपा।

मध्य प्रदेश के देवास जिले के नेमावर में आदिवासी समाज के एक ही परिवार के 5 सदस्यों की निर्मम हत्या से छतीसगढ़ का आदिवासी समाज भी आक्रोशित है। आज गरियाबंद में आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले समाज के सरंक्षक पूर्व विधायक ओंकार शाह के नेतृत्व में जिले भर से 1 हजार से भी ज्यादा आदिवासी जिला मुख्यालय में एकत्रित हुए। परिषद के मज़रकट्टा स्थित समाज भवन में एकत्रित भीड़ रैली की शक्ल में नारेबाजी करते हुए कलेक्टरेट पहुंची।

– पारम्परिक वेशभूषा में शामिल हुए प्रदर्शन में

इस दरम्यान समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में तीर कमान और भाला लेकर चल रहे थे। कलेक्टरेट पहुंचकर समाज ने कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपा। इसमें नेमावर के हत्यारों को फांसी की सजा, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की देखरेख में सीबीआई से जांच, पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिलाने की मांग की गई है।

– सिल्गेर कांड में न्याय दिलाने में हो रहा है विलंब

ज्ञापन में सिलगेर में मारे गए 3 निर्दोष आदिवासियों का जिक्र करते हुए समाज के असुरक्षित होने की बात कही गई है। आदिवासी विकास परिषद के प्रमुख संरक्षक ओंकार शाह ने कहा कि इस मामले में पीड़ितों को न्याय दिलाने में जानबूझ कर विलंब किया जा रहा है।

– एसटी-एससी पदोन्नति में आरक्षण बहाली की मांग

आदिवासी समाज द्वारा राजयपाल के नाम सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि उच्च न्यायलय के आदेश की गलत व्याख्या करते हुए पदोन्नति में आरक्षण के नियम को ताक पर रख कर पदोन्नति किया जा रहा है, इससे एसटी एससी वर्ग के कर्मी वंचित हो रहे हैं। ज्ञापन में मांग किया गया है कि धारा 6 आरक्षण अधिनियम 1994 के तहत दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाए।

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