नई दिल्ली/रायपुर। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बुधवार को नागरिकता बिल पर मुहर लग सकती

है।बता दें कि तीन तलाक, अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों के बाद अब केंद्र सरकार नागरिकता बिल को

लेकर कमर कस चुकी है। खबरों के अनुसार इसे जल्द ही संसद में पेश करने की तैयारी है और इससे

पहले आज होने वाली कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी जा सकती है। केंद्रीय कैबिनेट की यह बैठक

आज सुबह होने वाली है और इसमें अन्य मुद्दों के अलावा नागरिकता बिल को भी मंजूरी के लिए पेश

किया जा सकता है। खबर है कि कैबिनेट इसे मंजूरी दे सकती है और इसके बाद इसे लोकसभा में इसी

सत्र में पेश किया जाएगा।

 

LOC से सटे इलाकों में बर्फीला तूफान:

देश की दूसरी बड़ी खबर सीमा से आ रही है। जहां जम्मू कश्मीर में LOC से सटे इलाकों में आया

बर्फीला तूफान आने से सेना के 3 जवान लापता बताए जा रहे हैं। जिनकी तलाश जारी है। खबर है

कि उत्तरी कश्मीर के कई इलाकों में मंगलवार शाम बर्फीला तूफान आ गया है। इस तूफान की चपेट

में आकर सेना के तीन जवान लापता बताए जा रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि लापता जवानों

की संख्या और भी बढ़ सकती है। कश्मीर के कूपवाड़ा के साथ हही बांदीपोरा जिले में भी हिमस्खलन

की अलग-अलग घटनाएं हुई हैं। लापता जवानों की तलाश के लिए सेना ने एआरटी लगाई है। इसके

साथ ही हैलीकॉप्टर भी तैनात किए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिमस्खलन 18 हजार फीट

की ऊंचाई पर हुआ है।

 

नगरीय निकाय चुनाव में पार्षद प्रत्याशियों की सूची को लेकर घमसान:

छत्तीसगढ़ की बड़ी खबर ये है कि प्रदेश में होने जा रहे नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस और भाजपा

के पार्षद प्रत्याशियों की सूची जारी होने से घमसान मचा हुआ है। संगठन में जहां कार्यकर्ता बगावती

तेवर दिखा रहे हैं वहीं उन्हें मनाए जाने का काम भी जारी है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि आज देर

शाम तक दोनों ही दलों के उम्मीदवारों की घोषणा की दी जाएगी। बता दें कि नामांकन दाखिलें में अब

24 घंटे ही बचे हैं।

 

1 दिसंबर से धान खरीदी की शुरुआत:

छत्तीसगढ़ की दूसरी बड़ी खबर किसानों से धान की खरीदी को लेकर है। प्रदेश के धान खरीदी केंद्रों

में 1 दिसंबर से धान खरीदी की शुरुआत हो चुकी है, बावजूद इसके किसान धान बेचने सहकारी

समितियिों की ओर रुख नहीं कर रहे हैं। किसानों में समर्थन मूल्य को लेकर नाराजगी है वहीं किसान

2500 रुपए के समर्थन मुल्य से कम पर धान बेचने को राजी नहीं है। यहीं वजह है कि कई समितियों

में अभी धान खरीदी की बोहनी भी नहीं हो पाई है।

 

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