दिल्ली। पत्नी को परेशान करने पर पुलिस, महिला आयोग, कोर्ट समेत तमाम एजेंसियां मौजूद हैं, लेकिन पति को परेशान करने व उनको झूठे केसों में फंसाने पर सुनवाई करने के लिए कोई पुरुष आयोग नहीं है। पीड़ित पतियों को भी आस है कि उन्हें अपनी पत्नी की प्रताड़ना से मुक्ति के साथ ही इन्साफ मिल सके।

इसी मांग को लेकर बुधवार को देशभर के हजारों पीड़ित पतियों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने सरकार से मांग की है कि पीड़ित पुरुषों के लिए भी एक पुरुष आयोग बनाया जाए।

दहेज, झगड़ा, मारपीट जैसे झूठे केस दर्ज करवाए

बेंगलुरु स्थित आईटी कंपनी में सेल्स मैनेजर मनप्रीत सिंह भंडारी ने बताया कि उनकी शादी 2009 में हुई थी। कुछ दिनों के बाद ही पारिवारिक कलह होने लगी। बात यहां तक बढ़ गई कि ये शादी अब आगे नहीं चलेगी। इसके बाद पत्नी 15 महीने के बच्चे को लेकर बिना बताए मायके चली गई। वहां जाकर अपनी मां के कहने पर दहेज, झगड़ा, मारपीट समेत कई झूठे केस दर्ज करवा दिए। महीने में 4 से 5 बार कोर्ट के चक्कर लगाने के चलते कंपनी ने नौकरी से निकाल दिया।

प्लॉट नाम नहीं किया तो पत्नी ने 6 केस में फंसाया

मदनगीर निवासी स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में अधिकारी के तौर पर कार्यरत रहे वीर सिंह की शादी 2006 में हुई थी। उनके 3 बच्चे है। उन्होंने बताया कि 2015 में उन्होंने एक प्लॉट खरीदा था। पत्नी की मायके वालों ने कहा कि प्लॉट उनकी बेटी का नाम करो। हालत को देखते हुए वीर सिंह प्लॉट को पत्नी के नाम नहीं कर पाया। इसी बात को लेकर पत्नी 2 बेटों को लेकर मायके चली गई। एक बेटी को छोड़ गई। मायके से उसने बदला लेने के लिए दहेज, मारपीट, उत्पीड़न समेत करीब 6 झूठे केस दर्ज करा दिए।

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