आखिर क्यों फायदेमंद है कोविशील्ड के दो डोजेज के बीच 12 से 16 सप्ताह का अंतराल
आखिर क्यों फायदेमंद है कोविशील्ड के दो डोजेज के बीच 12 से 16 सप्ताह का अंतराल

टीआरपी डेस्क। भारत सरकार कोविशील्ड के दो डोजेज के अंतराल को 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह किया है। इसका फायदा देश को क्यों और कैसे होगा आइए समझते हैं मेडिकल जर्नल और पब्लिक हेल्थ स्टडी लंदन में छपे लेख के हिसाब से। वैक्सीन की एफिकेसी के साथ शरीर में एंटीब़ॉडी की मात्रा कैसे बढ़ जाती है आइए जानते हैं।

बढ़ाई गई अवधि का फायदा कैसे?

6 सप्ताह के बाद और बारह सप्ताह के अंतराल के बाद दूसरे डोज दिए जाने से एफिकेसी (Efficacy) 55.1 फीसदी से बढ़कर 80.3 फीसदी बढ़ जाता है। इसका मतलब है 12 सप्ताह के बाद वैक्सीन की प्रभावशीलता तकरीबन 25 फीसदी बढ़ जाती है। इसको इस तरह समझा जा सकता है कि शरीर की अंदर का रक्षा कवच 25 फीसदी ज्यादा मजबूत हो जाता है।

इतना ही नहीं 55 साल से कम उम्र के लोगों में 6 सप्ताह की तुलना में 12 सप्ताह के बाद दूसरा डोज दिए जाने से एंटीबॉडी की मात्रा दोगुनी हो जाती है। एंटीबॉडी दोगुनी होने का मतलब है कि आपके शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने वाले सुरक्षा तंत्र में दोगुना इजाफा हो जाता है।

पहले डोज के 22 से 90 दिनों के बीच एंटीबॉडी की मात्रा 76 फीसदी

इतना ही नहीं लैंसेट में छपे रिसर्च के मुताबिक, पहले डोज के 22 से 90 दिनों के बीच एंटीबॉडी की मात्रा 76 फीसदी देखी गई। इसका मतलब साफ है कि 12 सप्ताह से पहले दूसरे डोज को दिए जाने से वैक्सीन का फायदा कम होता दिखाई पड़ रहा था। यही वजह है कि यूके ने भी मार्च महीने में कोविशील्ड के दो डोज के बीच के गैप को 12 सप्ताह कर दिया था।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दो फरवरी को अपने बयान में कहा था कि कि वैक्सीन की एफिकेसी 6 सप्ताह से कम के अंतराल पर दूसरे डोज दिए जाने से 54.9 फीसदी है। वहीं, 12 और उससे ज्यादा सप्ताह के बाद एफिकेसी 82.4 फीसदी है। रिसर्च में डोजेज के अंतराल को बढ़ाने की कही गई थी बातें।

17 हजार लोगों पर किया गया रिसर्च

दरअसल, एस्ट्रोजेनिका के इस वैक्सीन पर रिसर्च 17 हजार लोगों पर किया गया है। रिसर्च की प्रमुख बातें प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल लैंसेट में 6 मार्च को पब्लिश किया जा चुका है। दो डोजेज के बीच के अंतराल को बढ़ा देने से वैक्सीन की एफिकेसी तो बढ़ती ही है साथ में सरकार को कम पड़ रही वैक्सीन की समस्या से निपटने में थोड़ी राहत जरूर मिलेगी। सरकार ज्यादा लोगों को पहला डोज देकर सुरक्षा के दायरे में लाना चाहेगी।

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की स्टडी के मुताबिक, एस्ट्रोजेनिका के सिंगल डोज (कोविशील्ड भारत में कहते हैं ) वैक्सीन से डेथ रिस्क वैक्सीन नहीं लगाने वालों से 80 फीसदी कम हो जाता है। भारत में नेशनल कोविड वर्किंग ग्रुप की सलाह को मानते हुए वी के पॉल ने कहा कि पहले साइंटिफिक स्टडी के आधार पर अंतराल बढ़ाने की बात कही जा रही थी लेकिन अब रियल लाइफ एक्सपीरिएंस के आधार पर कोविशील्ड के दो डोजेज का अंतराल बढ़ाया गया है।

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