Agriculture Department
प्रदेश में धान एवं मक्का का उत्पादन बढ़ाने के लिए हाइब्रिड बीजों के वितरण का निर्णय लिया गया था।

दामिनी बंजारे- रायपुर। वर्ष 2019 में विधानसभा में बीज व खाद को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा था। यहां तक धरमलाल कौशिक के सवालों का जवाब कृषि मंत्री रविंद्र चौबे भी नहीं दे सके थे। दरअसल वर्ष 2019-20 में प्रदेश में धान एवं मक्का का उत्पादन बढ़ाने के लिए हाइब्रिड बीजों के वितरण का निर्णय लिया गया था। यह बीज कृषि विभाग में संचालित विभिन्न केंद्रीय व राज्य की योजनाओं के तहत बांटे जाने थे। मगर खाद व बीज की डीएनए टेस्ट और गुणवत्ता जांच के बगैर ही टेंडर जारी कर दिया गया। यहां तक कि राज्य सरकार ने 17 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया था।

इस बार राज्य सरकार यह गलती दोहराना नहीं चाहती और इसके लिए छत्तीसगढ़ में खाद, बीज व कीटनाशक दवाइयों की टेस्टिंग लगातार जारी है। अब तक की गई जांच में बीज के 20 तथा खाद के 42 सैंपल को अमानक करार दिया गया है। कृषि विभाग ने ऐसे सभी लॉट की बिक्री रोकने के साथ ही संबंधित फर्म को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

यह भी पढ़े PM मोदी ने जारी किया 75 रुपये का सिक्का, आठ फसलों की 17 जैव संवर्धित किस्मों को भी किया राष्ट्र को समर्पित

गुणवत्ता पर रखी जा रही विशेष निगरानी

 

सीएम भूपेश बघेल के निर्देश के बाद कृषि विभाग द्वारा रासायनिक खाद, बीज एवं कीटनाशक दवाई की गुणवत्ता पर विशेष निगरानी रखी जा रही हैं। विभाग के अधिकारी अपने इलाकों में दबिश देकर बीज, खाद और किटनाशक औषधियों के सैंपल ले रहे हैं। कृषि विभाग के मुताबिक खरीफ सीजन 2021 में बीज के 1770 सैंपल लिए गए हैं जिसमें से 1607 सैंपल अमानक पाए गए हैं जबकि 20 सैंपल अमानक पाए गए हैं। वर्तमान में वहीं 163 सैंपलों की जांच जारी हैं। इसी तरह रसायनिक खाद 1455 सैंपल लिए गए हैं। इनमे से 1105 सैंपलों की जांच में 1063 मानक पाए गए हैं।

बजट सत्र में धरमलाल कौशिक ने प्रश्न के साथ ध्यानाकर्षण भी उठाया था। सदन में हुई चर्चा में डीएनए जांच को लेकर विभागीय मंत्री द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। उन्होंने भुगतान करने या नहीं करने, टेण्डर की प्रक्रिया ठीक होने का उल्लेख कर गोलमोल जवाब दिया गया।

Agriculture Department.
यह बीज कृषि विभाग में संचालित विभिन्न केंद्रीय व राज्य की योजनाओं के तहत बांटे जाने थे।

इस तरह होती हैं बीज मानकता की जांच

 

1. बीजों के लिये कंपनी के चयन एवं दामों का निर्धारण बीज निगम द्वारा किया जाता है। बीज निगम द्वारा जारी किये गये टेण्डर में शर्त रखी गई थी इन बीजों की गुणवत्ता जांच हेतु रैण्डम सैंपल लेकर डीएनए की जांच करवाई जायेगी। वास्तव में हाईब्रिड बीज प्रदान किये गये हैं कि नहीं।

2 बीज निगम को बीजों का सैंपल लेने का अधिकारी ही नहीं है। यह कार्य कृषि या हार्टिकल्चर के बीज इंस्पेक्टर को है। इसके लिये हर जिले में बीज इंस्पेक्टर को नियुक्त किया गया है। जिनकी योग्यता कृषि स्नातक होना आवश्यक है।

3. कृषि विभाग में बीजों के सेम्पल लेने हेतु बीज निरीक्षक अधिकारी नियुक्त है। उनके द्वारा खरीफ एवं रबी मौसम मे कृषको को वितरित किये जाने हेतु विभिन्न सहकारी सोसायटियों, बीज निगम के गोदामो, जिला एवं ब्लाॅक कार्यालयों में भण्डारित बीजो के सेम्पल लेकर रायपुर में स्थित बीज प्रमाणीकरण एजेंसी में अंकुरण प्रतिषत या सरल शब्दो में बीज की क्वालिटी की जांच हेतु भेजा जाता है।

Agriculture Department
प्रदेश में धान एवं मक्का का उत्पादन बढ़ाने के लिए हाइब्रिड बीजों के वितरण का निर्णय लिया गया था।

5. अलग-अलग फसलों के अंकुरण का प्रतिषत भी अलग होता है। मगर मोटे तौर पर देखे हेतु यह अंकुरण प्रतिषत 85 से 98 प्रतिषत के बीच होना चाहिये। अगर इनसे कम अंकुरण मिला तो बीज को फेल घोषित किया जाता है और इसके वितरण पर रोक लगाने के साथ साथ बीज प्रदायक को कोई भुगतान नहीं किया जाता है।

6. विभाग में बीज की सप्लाई मुख्यतः बीज निगम के द्वारा उत्पादित बीज या प्रदेष के बीज उत्पादक किसानो, राज्य के अंदर एवं बाहर की सहकारी व निजी क्षेत्र की कंपनियो के माध्यम से की जाती है।

7. यहां गौर करने वाली दो बातें हैं पहली यह कि प्रमाणित, आधार बीज की जांच बीज प्रमाणीकरण एजेंसी में हो जाती है किन्तु हाईब्रिड बीजों के डी.एन.ए की जांच नहीं होती। यह सुविधा केवल इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रयोगशाला में ही उपलब्ध है।

दूसरी बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा अधिकांश बीजों की टेस्टिंग एवं उनकी रिपोर्ट देर से आती है जबकि विभाग द्वारा किसानों को बीज भी वितरित कर दिया जाता है। रिपोर्ट आने के बाद रोक लगाने जैसी कार्यवाहियां की जाती है। मगर तक तक किसानों की मेहनत बेकार हो चुकी रहती है।

8. अब बात आती है कि हाईब्रिड बीजों की। बीज निगम द्वारा 2019-20 में हाईब्रिड बीजों की सप्लाई हेतु टेण्डर जारी किया गया और शर्त रखी गई कि इनकी जांच करवाई जाएगी। टेण्डर में भाग लेने वाली कंपनियों को यह अच्छे से पता था कि बीज निगम इसकी जांच करवा ही नहीं सकता। इन कंपनी वालों ने मौके का फायदा उठाया और अपर संचालक कृषि, एम.एस. केरकेेट्टा को ज्ञापन दिया। केरकेट्टा ने मई 2019 को बीज निगम को पत्र लिखा कि बीज अधिनियम के अनुसार बीजो के सेम्पल और उनके डी.एन.ए. जांच की कार्यवाही कृषि विभाग से संबधित है अतः नियमानुसार इनके डी.एन.ए. की जांच कृषि विभाग ही करवाएगा।

वर्जन

अलग-अलग जिलों से सैम्पल आए थे, जिसकी जांच की गई और वे मानकता पर खरे नहीं उतरे। सभी सैंपल की बिक्री को रोक दिया गया है। 2019-20 में किए गए टेंडर की मुझे कोई जानकारी नहीं है।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे फेसबुक, ट्विटरटेलीग्राम और वॉट्सएप पर