नई दिल्ली। दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जहां कवियों और शायरों की तादाद काफी ज्यादा है। इसके पीछे का कारण भी साफ है कि यहां लोगों को तकलीफें भी बहुत ज्यादा हैं। जब किसी का दर्द हद से गुजर जाता है तो वो कविता के रूप में सामने जरूर आता है। ऐसा ही कुछ मंगलवार की रात आम आदमी पार्टी की फॉयर ब्रांड नेता अलका लांबा के साथ भी हुआ। वे नि:संदेह एक विचारक और प्रखर वक्ता तो हैं ही, अच्छी कवियत्री भी हैं ये किसी को भी पता नहीं होगा। आइए आज हम आपका त-आरूफ उस बेहतरीन कवियत्री से भी करवाते हैं। इसके साथ ही उनकी वो कविता भी आपको पढ़ने को मिलेगी।

दरअसल कल रात सौरभ भारद्वाज के साथ ट्विटर पर हुई उनकी जोरदार बहस के बाद आज बुधवार सुबह उन्होंने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने एक कविता के रूप में अपनी बात सामने रखी और खुलकर नहीं बोलने देने पर अपना दर्द कुछ यूं बयां किया-
जिसे हम लोकतंत्र समझते थे,
आज प्रश्न करने पर उन्हें वह अनुशासनहीनता लगने लगी।
तानाशाही के दौर में,
लगता है उसे भी अब कुछ सुनना पसंद नहीं।
बड़े आए, बड़े चले गए,
न कुछ लाया था साथ,
न कुछ साथ ले जाएगा।
घमंड में कोई लंबा जिया नहीं।
कुर्सी तो आनी जानी है,
लालच इसका हमें नहीं।

आखिर ट्विटर पर क्या बात हुई दोनों नेताओं के बीच:

दोनों नेताओं के बीच इस विवाद की शुरुआत कांग्रेस की ओर से मंगलवार को जारी घोषणापत्र के बाद हुआ। जब इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अलका लांबा ने ट्वीट किया और इसके जरिए अपनी ही पार्टी (आम आदमी पार्टी) के दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग पर सवाल उठा दिया। उन्होंने कहा कि हर पार्टी का अपना घोषणा पत्र होता है, कांग्रेस के घोषणा पत्र में पुड्डुचेरी को तो पूर्ण राज्य देने की बात है पर दिल्ली को लेकर कोई बात नहीं है। साफ है कि कांग्रेस के लिए अब “दिल्ली-पूर्ण राज्य”मुद्दा नहीं रहा। वहीं आप इसी मुद्दों को अपना प्रमुख मुद्दा बना रही है। गठबंधन कैसे होगा?
लांबा की इस प्रतिक्रिया के बाद आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने ट्वीट किया ‘आप क्या चाहती हैं ? पूर्ण राज्य या …..? ‘

विधायक सौरभ भारद्वाज के इस ट्वीट के बाद लांबा ने फिर ट्वीट किया और कहा कि मेरे चाहने न चाहने से क्या फर्क पड़ता है? वैसे भी यह पूछने का समय अब निकल चुका है। अब तो दिल्ली की जनता ही तय करेगी। इस पर भारद्वाज ने फिर प्रतिक्रिया दी और कहा कि जनता को पता होना चाहिए उनका नेता क्या चाहता है , तभी तो जनता अपने नेता के बारे में तय करेगी।

अलका लांबा फिर नहीं रुकीं और सौरभ भारद्वाज की टिप्पणी पर एक और प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘मेरी जनता मुझे बखूबी जानती है, 2020 आने पर पूरे 5 साल का जवाब-हिसाब और क्या सोचती हूं सब बता दूंगी, दूसरी बात मैं आप से उलट सोचती हूं, जनता से अधिक नेता को पता होना चाहिए कि उसकी जनता क्या सोचती और चाहती है, नेता को वही करना चाहिए, न कि जनता पर अपनी थोपनी चाहिए।

धोखा मत दो छोटे भाई…

दोनों के बीच चली बहस के बीच सौरभ ने अलका से यहां तक कह दिया कि चलो फिर थोड़ा सा हिम्मत दिखाओ, कल चले जाओ कांग्रेस में। है दम? जवाब में अलका ने कहा कि छोटे भाई, धोखा मत दो बड़ी बहन को, यह आदत अब बदल लो, वचन दिया है, अब कल 3 बजे, जामा मस्जिद गेट नंबर 1 पर पहुंच जाना। कल मुझे छोटे भाई सौरव का इंतजार रहेगा। शुभ रात्रि… जय हिंद !!!

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