अवधेश शर्मा-
जगदलपुर । भला इससे शर्मनाक बात और क्या हो सकती है कि जिस महिला नक्सली पर 157 मामले दर्ज हों, वो साक्ष्यों के अभाव में बरी हो जाए? चौंकिए मत बस्तर में आज ऐसा ही हुआ है। पुलिस प्रशासन की लापरवाही के चलते सेंट्रल जेल जगदलपुर में बीते 12 साल से नक्सली प्रकरण में सजा काट रही महिला नक्सली निर्मलक्का और सीबी लक्ष्मी बुधवार को जेल से रिहा कर दी गर्इं। निर्मलक्का के खिलाफ कोर्ट में पुलिस कोई सक्ष्य पेश नहीं कर सकी। लिहाजा साक्ष्य के अभाव में उसे बरी कर दिया गया।

कुल 157 मामले दर्ज:

यहां हम आपको ये भी बता दें कि निर्मलक्का पर बस्तर सहित प्रदेश के विभिन्न थानों में 157 मामले दर्ज थे। वर्ष 2007 में निर्मलक्का और उसके पति चंद्रशेखर रेड्डी को राजधनी रायपुर में 5 जुलाई 2007 को गिरफ्तार किया गया था। उनके पति चंद्रशेखर रेड्डी को 1 वर्ष पूर्व ही रिहा कर दिया गया था, निर्मलक्का के खिलाफ वर्ष 2007, 2008, 2014, 2015 में भी नए-नए मामले पुलिस ने दर्ज किए गए, मगर एक भी सबूत पुलिस कोर्ट में पेश नहीं कर पाई। लिहाजा दंतेवाड़ा के फास्टट्रैक कोर्ट ने सबूत न होने के एवज में विद्वान न्यायाधीश प्रतिभा वर्मा ने 2 अप्रैल को रिहाई के आदेश जारी कर दिया।

वर्ष 2007 में निर्मलक्का पर जनसुरक्षा कानून के तहत मामला दर्जा किया गया था। मंगलवार की देर शाम दंतेवाड़ा न्यायलय से रिहाई के आदेश सेंट्रल जेल जगदलपुर पहुँचा और बुधवार की सुबह 11 बजे निर्मलक्का को रिहा कर दिया गया। उन्हें लेने सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी पहुंची थीं। उसके बाद वो अपने गांव कालाहस्ती जिला चिंतूर आंध्र प्रदेश के लिए रवाना हो गई।

पति के साथ रहने की जताई इच्छा:

निर्मलक्का ने कहा कि उसे सरकार से कोई शिकायत नहीं है। वो अभी रिहा हुई है और बाकी की जिंदगी अपने पति के साथ बिताना चाहती है। इसी लिए वो कालाहस्ती जा रही है।

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