रायपुर। राज्य के दाऊ कल्याण सिंह सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल (डीकेएस) में आउट सोर्सिंग पर रखे गए कर्मचारियों को हटाया जा रहा है। इसी कड़ी में 60 सुरक्षाकर्मी और 60 एमआरडी को हटाया गया है। इसके पीछे की कहानी ये है कि पूर्व अधीक्षक डॉ. पुनीत गुप्ता ने एजेंसियों की मदद से इन सभी की भर्तियां कराई थीं। इसका खुलासा होते ही अस्पताल प्रशासन हरकत में आया और तत्काल नोटिस जारी कर इनको हटाने का आदेश दे दिया।  

4.50 करोड़ का अलग-अलग एजेंसियों को भुगतान:

जब जांच की गई तो अलग-अलग कंपनियों को 4.50 करोड़ रुपए का भुगतान होना पाया गया। इसमें पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी, सिक्योरिटी, मेडिकल स्टोर, लांड्री, डायलिसिस जैसी प्रमुख सेवाएं शामिल हैं। इसके बाद तय हुआ कि सभी में कटौती करनी है, इसकी प्रक्रिया फरवरी में ही शुरू हो गई थी। सभी एजेंसियों को नोटिस जारी कर कहा गया कि वे अपने स्टाफ में स्वत: कटौती करना शुरू करें। पहले यहां 144 सुरक्षा गार्ड थे, जिनकी संख्या 84 कर दी गई।  

अभी आगे भी होगी छंटनी: डॉ सहारे 

अब एमआरडी शाखा में आउटसोर्स पर रहे 60 कर्मचारियों को निकालने का फैसला लिया गया है। इस शाखा में पहले से ही सरकारी कर्मचारी सेवारत हैं। डॉ. केके सहारे का कहना है कि हर महीने समीक्षा की जा रही है कि कहां पर कितने कर्मचारियों की आवश्यकता है,उसके हिसाब से ही छंटनी की जाएगी। हाउस कीपिंग,आॅफिस बॉयज, डिलीवरी बॉयज को भी निकालने की तैयारी है। दरअसल अस्पताल को भविष्य में खुद को इस रूप में स्थापित करने के निर्देश हैं कि वह राजस्व जनरेट करे और उससे ही अस्पताल का संचालन करे।  

इसके लिए भी मांगा गया है अतिरिक्त बजट :

अस्पताल में मंत्री, सांसद, विधायकों के हस्ताक्षर वाले पत्रों (लेटर हेड) पर मुफ्त इलाज आज भी हो रहा है। 28 फरवरी को जब स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिहंदेव अस्पताल आए थे, तब डीकेएस प्रबंधन ने यह मुद्दा उठाया था। कहा था कि रोजाना 150 से अधिक मरीज पत्र लेकर आते हैं। उनके इलाज में 7.50 लाख रुपये खर्च होता है। उस समय मंत्री ने कहा था कि यह समस्या यूनिवर्सल हेल्थ केयर के जरिए खत्म हो जाएगी। हालांकि अभी तक तो ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।     Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें  Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें  और Youtube  पर हमें subscribe करें।