रायपुर। नान घोटाला मामले में आज हाईकोर्ट ने आईएएस अनिल टुटेजा को बड़ी राहत दी। न्यामूर्ति आर पी शर्मा की बेंच ने उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी मंजूर कर ली। सोमवार को ये जानकारी अनिल टुटेजा के अधिवक्ता पीयूष भाटिया ने दी। उन्होंने बताया कि अग्रिम जमानत याचिका लगाते हुए हमने कोर्ट से कहा था कि एफआईआर में नाम दर्ज नहीं है. 5 दिसंबर 2018 को पूरक चालान पेश कर नाम जोड़ा गया, इससे ना तो पुलिस ने गिरफ्तार किया और ना ही किसी तरह से पूछताछ के लिए बुलाया. 30 महीने बाद एफआईआर दर्ज किया गया. तमाम पहलूओं को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अनिल टुटेजा को अग्रिम जमानत दे दी.

क्या था पूरा मामला:

दरअसल एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा ने 12 फरवरी 2015 को नागरिक आपूर्ति निगम के 28 ठिकानों में छापा मारकर करोड़ों रुपए बरामद किए थे। इस मामले में 27 लोगों के खिलाफ मामला कायम किया गया था। आईएएस अधिकारी डॉ.आलोक शुक्ला और नान के तत्कालीन एमडी अनिल टुटेजा के खिलाफ अभियोजन चलान के लिए राज्य सरकार ने केंद्र को चिट्ठी लिखी थी। 4 जुलाई 2016 को केंद्र ने अभियोजन की अनुमति दे दी थी, बावजूद इसके राज्य शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। ऐन चुनाव के पहले करीब ढाई साल बीतने के बाद राज्य सरकार ने पूरक चालान पेश करते हुए दोनों ही आईएएस अधिकारियों के नाम शामिल किए थे।

क्या हुआ था इससे पहले:

इससे पहले अनिल टुटेजा ने 27 नवंबर को विशेष न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होनें कई महत्वपूर्ण बिंदूओं के आधार पर न्यायालय से अग्रिम जमानत देने की गुहार लगाई थी। टुटेजा ने अपनी याचिका में कहा था कि यह जीरो रिकवरी का केस था।अपने आवेदन में उन्होंने कहा था कि न तो किसी से रिश्वत की मांग की और न ही उनके खिलाफ किसी ने शिकायत की है और न ही उन्हें रंगे हाथों पकड़ा ही गया है। इतना ही नहीं नान के एमडी पद पर 8 महीने के उनके कार्यकाल के दौरान राज्य शासन को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ।

आईएएस अफसर टुटेजा ने गिनाए ये फायदे :

टुटेजा ने याचिका में इस बात का भी जिक्र किया था कि आॅडिट से भी यह साबित हुआ है कि नागरिक आपूर्ति निगम को उस दौरान 3 करोड़ रुपये का फायदा भी हुआ था। उन्होनें याचिका में इस बात का भी जिक्र किया था कि उनके कार्यकाल के दौरान राज्य में कहीं भी घटिया स्तर के चावल सप्लाई का मामला सामने नहीं आया, बल्कि उस समय भी राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ के पीडीएस सिस्टम की सराहना होती रही। राज्य शासन को इसके लिये राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी नवाजा गया। तब अनिल टूटेजा के अधिवक्ता ठाकुर आनंद मोहन सिंह और पीयूष भाटिया ने न्यायालय के समक्ष विधानसभा में नान घोटाले के संबंध में पूछे गये प्रश्नों और इस संबंध में शासन द्वारा दिये गये जवाब को भी रखा और कहा था कि शासन द्वारा दिये गये जवाब में भी किसी तरह का भ्रष्टाचार प्रमाणित नहीं होता।   Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें  Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें  और Youtube  पर हमें subscribe करें।