ईटानगर/नई दिल्ली। एन्टोनोव-32 की तलाश में आज सुबह से ही फिर आॅपरेशन ने जोर पकड़ लिया। इसमें आईटीबीपी के 4 सर्वश्रेष्ठ पर्वतारोहियों और 5 जवानों को नंदा देवी बेस कैंप के पास उतारा गया है।

यह सभी जवान पहले से चल रहे सर्च आॅपरेशन को ज्वॉइन करेंगे। एएन-32 ने सोमवार को असम के जोरहाट एयरबेस से उड़ान भरी थी। इसमें क्रू मेंबर समेत 13 यात्री सवार थे।

एएन-32 की तलाश में मंगलवार को भी नेवी के स्पाई एयरक्राफ्ट और इसरो के सैटेलाइट को सर्चिंग के लिए लगाया गया था। वायुसेना ने तलाशी अभियान में सुखोई-30 और सी-130 विमान भेजे हैं। जोरहाट एयरबेस चीन सीमा के करीब है। अरुणाचल की मेनचुका एयरफील्ड से उड़ान भरते वक्त विमान का संपर्क टूट गया था।

अरुणाचल और असम के कुछ हिस्सों पर नजर :

वायुसेना ने कहा था कि जमीन पर तलाश कर रही टीमों से क्रैश की संभावित जगहों के बारे में कुछ रिपोर्ट मिली हैं। हेलिकॉप्टर इन लोकेशन पर भेजे गए हैं। लेकिन अभी तक विमान का मलबा नहीं दिखा है।

वायुसेना के सूत्र ने न्यूज एजेंसी को बताया कि इसरो के सैटेलाइटों के जरिए भी विमान की तलाश की जा रही है। इनके जरिए अरुणाचल और असम के कुछ हिस्सों पर नजर रखी जा रही है।

एयर और ग्राउंड टीमें तलाश में जुटीं :

नौसेना के प्रवक्ता कैप्टन डीके शर्मा ने कहा कि तमिलनाडु के अराकोनम में तैनात आईएनएस राजाली से दोपहर करीब एक बजे पी-8आई विमानों ने उड़ान भरी। यह एएन-32 की तलाश कर रहे हैं। मेनचुका के घने जंगलों में विमान की तलाश में विमानों और हेलिकॉप्टर की एक फ्लीट पहले से ही जुटी हुई है। जमीन पर भी दल तलाश कर रहा है।

सर्च आॅपरेशन में एसएआर तकनीक का इस्तेमाल

शर्मा ने बताया कि पी-8आई एयरक्राफ्ट इलेक्ट्रो आॅप्टिकल और इन्फ्रारेड सेंसर्स से लैस है। इस विमान में बेहद शक्तिशाली सिंथेटिक अपर्चर राडार (एसएआर) लगे हुए हैं। एएन-32 की तलाश के दौरान ये तकनीक बेहद कारगर हो सकती है। पी-8आई विमान अमेरिका की बोइंग कंपनी ने बनाए हैं। यह लंबी दूरी वाला टोही विमान है और अभी नौसेना के पास ऐसे 8 एयरक्राफ्ट हैं।

 

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