नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक RBI ने एनईएफटी जैसे मनी ट्रांसफर सुविधा में अपनी तरफ से लगने वाले चार्ज में बड़ी राहत दी है। इसके अलावा RBI ने एटीएम निकासी पर लगने वाले फीस की भी समीक्षा करने का भी निर्णय लिया है। एटीएम चार्ज खत्म करने की भी तैयारी में हैं। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जनता को अपनी तरफ से पहला तोहफा देते हुए रिजर्व बैंक ने एक बार फिर रेपो रेट में कटौती की है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती हुई है।

आइए जानें रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति समीक्षा की पांच प्रमुख बातें।

रेपो रेट में कटौती से EMI में राहत

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा चौथाई फीसदी कटौती के बाद अब नई रेपो रेट 5.75% हो गई है। आरबीआई की पिछली दो बैठकों में भी एमपीसी रेपो रेट में क्रमश: 0.25 फीसदी की कटौती कर चुकी है। जून में लगातार तीसरी बार केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट घटाई है। इसका फायदा अगर पूरी तरह बैंकों ने ग्राहकों तक पहुंचाया तो इससे लोगों को होम लोन, ऑटो लोन आदि के ईएमआई में अच्छी राहत मिलेगी।

 NEFT और RTGS के चार्ज में कटौती

बैंक खातों में फंड ट्रांसफर के लिए रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनि‍क फंड्स ट्रांसफर (NEFT) सिस्टम के लिए रिजर्व बैंक बैंकों से एक न्यूनतम चार्ज लगता था। मगर अब बैंक ने अपनी तरफ से लगने वाला यह चार्ज खत्म कर दिया है। हालांकि बैंक इसके बाद अपनी तरफ से ग्राहकों से चार्ज लेते हैं, इसका फायदा बैंक अपने ग्राहकों को देंगे और इस बारे में एक हफ्ते के भीतर निर्देश आ जाएगा।

एटीएम चार्ज हटाने पर भी विचार

देश में नकद निकासी के लिए एटीएम का इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है। यही वजह है कि मूल बैंक या अन्य बैंकों के एटीएम से नकद निकासी पर लगने वाले चार्ज को हटाने की मांग की जाती रही है। इसे देखते हुए रिजर्व बैंक ने सभी पक्षों को शामिल कर एक कमिटी बनाने का निर्णय लिया है। यह कमेटी एटीएम के सभी चार्ज और फीस पर विचार करेगी और दो महीने के भीतर अपनी सिफारिशें देंगी।

ग्लोबल इकोनॉमी हुई पस्त

रिजर्व बैंक की एमपीसी ने कहा है कि व्यापार और मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में सुस्ती की वजह से वैश्विक आर्थ‍िक गतिविधियां अब फिर से पस्त पड़ने लगी है। जबकि कुछ समय पहले तक इनमें कुछ सुधार देखा जा रहा था। अमेरिका में पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधि कुछ मजबूत हुई है, लेकिन यूरोप में यह कमजोर बना हुई है।

देश में अनुमान से कम GDP बढ़त

रिजर्व बैंक ने कहा है कि वर्ष 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में बढ़त 7 फीसदी के अनुमान की जगह सिर्फ 6.8 फीसदी हुई है। इसके पहले रिजर्व बैंक ने GDP में 7 फीसदी बढ़त का अनुमान जारी किया था। रिजर्व बैंक का कहना है निजी निवेश खर्च में गिरावट और निर्यात की गति सुस्त रहने की वजह से 2018-19 की चौथी तिमाही में आर्थ‍िक गतिविधि में काफी तेजी से गिरावट आई है और इस तिमाही में जीडीपी बढ़त सिर्फ 5.8 फीसदी रही।