दंतेवाड़ा। कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों… यह साबित किया है धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा के ‘छू लो आसमान संस्था‘ के बच्चों ने। देश की चिकित्सा संस्थानों में प्रवेश के लिए आयोजित NEET 2019 के जरिए संस्था के 39 छात्र-छात्राओं का चयन हुआ है।

आपको बता दें कि दंतेवाड़ा में ’छू लो आसमान योजना‘ के तहत छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा मेधावी बच्चों को देश के सर्वश्रेष्ठ मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए निःशुल्क कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। यहां बच्चों ने विपरीत परिस्थितियों में सफलता पाई है। सभी बच्चे धुर नक्सल प्रभावित इलाकों के रहने वाले हैं। ये बच्चे अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं।

NEET क्वालीफाई कर चुके सभी 39 बच्चों में से 6 बच्चों को काउंसलिंग में शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिला मिलने की सम्भावना है। वहीं शेष 33 बच्चों को बीडीएस, बीएएमएस,बीएचएमएस तथा वेटनरी पाठ्यक्रम में दाखिला के लिए अवसर मिलने की संभावना है। चिंगावरम सुकमा की लक्ष्मन मंडावी, फुलनार दन्तेवाड़ा के संजय पोडियामी, धुरली दन्तेवाड़ा के सन्तोष तेलम, कारली के पिंटूराम, रोंजे निवासी राकेश कश्यप तथा बड़ेपनेड़ा गीदम की रमशीला वेक को एमबीबीएस में दाखिला मिलने की पूरी सम्भावना है।

धुरली निवासी सन्तोष तेलम ने नीट में सफलता हासिल करने पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए बताया कि वह चिकित्सा की पढ़ाई कर अपने इलाके के लोगों की सेवा करना चाहते हैं। पढ़ाई के लिये माता-पिता और शिक्षकों ने हमेशा उसका उत्साहवर्धन किया। फुलनार के रहने वाले संजय पोडियामी ने बताया कि खेती-किसानी करने वाले उसके पिता उसे पढ़ाई के लिए हमेशा प्रेरित करते रहे। इसे ध्यान रखकर उन्होंने लक्ष्य को पाने के लिये लगन एवं मेहनत के साथ पढ़ाई की। संजय ने डॉक्टर बनकर बस्तर क्षेत्र में ही सेवा करने का संकल्प व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नीट में सफलता हासिल करने वाले बच्चों को हार्दिक बधाई दी है तथा उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है। कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा ने कहा कि सुदूर नक्सली प्रभावित ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों ने देश की सर्वोच्च चिकित्सा प्रतियोगी परीक्षा क्वालीफाई कर अन्य बच्चों को लगन और मेहनत के साथ पढ़ाई कर मुकाम हासिल करने का सन्देश दिया है।