जगदलपुर। जो कहते हैं कि भगवान के घर में देर है, पर अंधेर नहीं है उन्हें ये खबर जरूर पढनी चाहिए। जगदलपुर शहर की टेंपल कमिटी के पुजारियों को 14 महीनों से न तो वेतन मिला है और न ही भगवान को भोग लगाने के पैसे।

मंदिरों के पुजारियों का कहना है कि इस बारे में उन लोगों ने कई मर्तबा मुख्यमंत्री धर्मस्व विभाग को पत्र लिखा, इसके बावजूद भी अब तक उनको एक नए पैसे भी शासन-प्रशासन की ओर से नहीं मिले ।

शहर के 20 मंदिर टेंपल कमिटी के अंतर्गत आते हैं, इन मंदिरों की देखरेख का जिम्मा तहसीलदार का होता है। इसमें पुजारियों के मानदेय और भोग प्रसाद में प्रतिमाह 40 हजार रुपए खर्च होता है। पुजारियों को समय पर मानदेय नहीं मिलने की वजह से उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है।

मजदूरों से भी कम है पुजारियों का मानदेय:

बस्तर के इन मंदिरों में अन्य राज्य और विदेशों से भी भक्त और पर्यटक दर्शन करने आते हैं। पुजारियों का कहना है कि 12 घंटे सेवा देने के बावजूद मजदूरों से भी कम मानदेय दिया जाता है, वह भी कभी समय पर नहीं मिलता।

मानदेय के साथ ही भोग प्रसाद के लिए भी कोई फंड नहीं मिल रहा। कुछ ही मंदिरों में दान का पैसा आता है बाकी मंदिरों की हालत काफी दयनीय बनी हुई है, इसके बाद भी शासन -प्रशासन इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। अब देखना यह होगा कि इन पुजारियों का मानदेय कब तक मिल पाता है?

कलेक्टर के पास है फाइल:

पुजारियों के मानदेय का अनुदान शासन से प्राप्त होता है। अभी पैसा आया नहीं है। ऐसे में इनकी जरूरतों को देखते हुए डिप्टी कलेक्टर के फंड से कुछ पैसे देने की व्यवस्था की जा रही है। इसकी फाइल बनाकर कलेक्टर को भेजी गई है। वहां से स्वीकृति मिलते ही इनको भुगतान किया जाएगा।
अश्वनी शर्मा
तहसीलदार
जगदलपुर।

 

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