रायपुर। शहर में स्काईवॉक को तोड़ने के सीएम भूपेश बघेल से संकेत मिल रहे हैं। इसे तोड़ने पर 10 करोड़ का खर्च आएगा। ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि जनता के पैसों की ऐसी बर्बादी क्यों?

क्या इस पैसे की रिकवरी उन तमाम लोगों से की जाएगी जिन्होंने इसके प्रोजेक्ट बनाए, निरीक्षण किया और विभाग को प्रस्ताव दिया? जनता का पैसा आखिर दो बार क्यों खर्च किया जाए? इस पर शहर के तमाम आरटीआई एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता क्या कहते हैं आइए जानते हैं।

जिम्मेदारों से हो रिकवरी : डॉ. राकेश गुप्ता

आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि इसको बनाने में जिन-जिन लोगों ने इसका प्रस्ताव दिया। निरीक्षण किया और वे तमाम लोग जिनके हस्ताक्षर इस प्रोजेक्ट पर मौजूद हैं। उन सभी से इसकी भरपाई होनी चहिए। इसके अलावा उनके विरुध्द अपराधिक प्रकरण भी दर्ज किया जाना चाहिए।

कुछ हिस्सा उपयोगी, बाकी अनुपयोगी: विश्वजित मित्रा सामाजिक कार्यकर्ता विश्वजित मित्रा ने कहा कि इस स्काईवॉक का कुछ हिस्सा उपयोगी है, बाकी अनुपयोगी है। जनता का पैसा दोनों बार प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।

इसको तोड़ने में जो 10 करोड़ रुपए खर्च आएगा। इसकी भरपाई उन तमाम लोगों से होनी चाहिए जो इसके लिए जिम्मेदार हैं। उन सभी लोगों के खिलाफ बाकायदा एक् शन लिया जाना चाहिए। तो वहीं अभिषेक सिंह ने कहा कि मैं इस बात से सहमत हूं। इसकी भरपाई होनी चाहिए।

निगम भी है जिम्मेदार: ऋषिमुनि व्यास

सामाजिक कार्यकर्ता ऋषिमुनि व्यास ने कहा कि ये इलाका नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आता है। ऐसे में नगर निगम के एमआईसी और महापौर की भी जिम्मेदारी बनती थी कि वे इसको रोकते, मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया।

इसका नक् शा क्यों नहीं रोका गया। कहीं न कहीं इनकी भी मिलीभगत इस मामले में परिलक्षित होती है। ऐसे में इसकी भरपाई निगम के भी लोगों से की जानी चाहिए।

पहले बनाओ फिर तोड़ो क्या तमाशा है: ममता शर्मा

सामाजिक कार्यकर्ता ममता शर्मा ने कहा कि पहले बनाओ और फिर तोड़ो। ये कौन सा तमाशा हो रहा है भाई। जनता के पैसों की इस तरह बरबादी क्यों की जा रही है। जो भी इसके लिए जिम्मेदार हों उनसे इस रकम की भरपाई की जानी चाहिए। जनता के पैसों को इस तरह से उड़ाना गलत बात है। हम इसका विरोध करते हैं।

वसूली को हमारा समर्थन: कुणाल शुक्ला

आरटीआई एक्टिविस्ट कुणाल शुक्ला ने कहा कि जनता के पैसे क्या पेड़ पर फलते हैं? जहां जब भी मर्जी आए लगा दो। ये गलत बात है इसके लिए जिम्मेदारों पर वैधानिक कार्रवाई होनी चाहिए और इसकी वसूली भी उन्हीं तमाम लोगों से होनी चाहिए तो इसके लिए जिम्मेदार हैं।

 

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