बीजापुर । वनों की अवैध कटाई और पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर आज भूपेश सरकार ने आदिवासियों के पक्ष में आदेश दिया है। अब किरंदुल के डिपॉजिट 13 में वनों की अवैध कटाई नही होगी। उधर बीजापुर इंद्रावती रिज़र्व फारेस्ट में वन और भूमाफियाओं पर सरकार कब कार्रवाई करेगी?

क्या ऐसे बचेंगे वन और वृक्ष:

यहां वनमाफिया बेख़ौफ़ होकर अवैध कटाई का खेल -खेल रहे हैं। वहीं विभागीय संरक्षण में दशकों से वनमाफिया और आरमिलों का काला खेल भोपालपटनम के जंगलों में खेला जा रहा है जो आज भी बदस्तूर जारी है।

वन विभाग के बफर जोन की नाकामी और अधिकारियों अनदेखी व कर्मचारियों की सुस्त प्रणाली से लकड़ी तश्कर और भू-माफिया भी सक्रिय हैं।

सरकार वन बचाओ अभियान चला रही है, दूसरे ओर बफर जोन के अधिकारी व कर्मचारी वनो को उजाड़ने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

ग्रामीणों ने सीधा – सीधा आरोप आरोप लगाया है कि यह सब भूमाफिया और अधिकारियों के मिली भगत से चल रहा है । यदि पहले ही भूमाफियाओं पर कार्यवाही की जाती,तो बेशकीमती वृक्षों को और विभिन्न जड़ी बूटियों को बचाया जा सकता था।

क्या कहते हैं ग्रामीण:

भोपालपटनम तहसील मुख्यालय से करीब लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर तिमेड़ ग्राम पंचायत के भटपल्ली के ग्रामीणों ने बताया कि नेरलाबागु ( नेरला नाला ) के किनारे ग्राम गेर्रागुड़ा व गुन्लापेंटा के किसानों द्वारा बड़े झाड़ के जंगल में लगभग 50 से 60 एकड़ में सागौन, महुआ,तेन्दु,बीज,आदि काट दिया गया।

वर्तमान में भी अवैध कटाई धड़ल्ले से चालू है। पूर्व में भी बीट गार्ड मोहन सिंह को इन लोगों ने शिकायत पत्र दिया था। तब कुछ दिनों तक रुक गई थी, मगर फिर से कटाई चालू हो गई।

वन विभाग की मिलीभगत से कटाई करने वाले माफिया को शह दिया जा रहा है। अभी वर्तमान में वहां पर बड़े बड़े जेसीबी लगाया गया था और बड़े डोजर मशीन लगाकर खेती बनाई जा रही है।

इसमें राजस्व विभाग की भी मिलीं भगत हो सकती है? एक तरफ शासन पर्यावरण के नाम पर करोड़ों अरबों रुपए खर्च कर पर्यावरण को बचाने के लिए तत्पर हैं, वहीं दूसरी ओर भूमाफिया बेशकीमती वृक्षों और नाना प्रकार की जड़ी बूटियों को विनाश के लिए तत्पर हैं।

अवैध कटाई पर अंकुश कब लगाया जाएगा ? अगर इस पर समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो जंगल पूरी तरह खत्म हो जाएगा। सरकार इन अधिकारियों व कर्मचारियों को मोटी -मोटी तनख्वाह देकर क्यो पाल रही है? जो भी दोषी हो शासन के द्वारा कठोर कार्रवाई होनी चाहिए जिससे कि विभाग के अधिकारियों और कर्मचारी अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक रहें।

इस तरह का आरोप झाड़ी बिचमैया , चेरला परदेशी , दुर्गम नारायण,ऐरमा प्रभाकर , के पी राजु , झाड़ी हेमंत आदि ने लगाया।

अवैध कटाई मामले में मंडलाधिकारी एमके चौधरी ने कहा कि ” 2009 में बफर जोन बनाने की विधि चालू की गई थी। 2014 में बफर जोन बना दिया। 2009 के पूर्व वह वन विभाग के सामान्य जोन में था। साथ ही यह भी बताया गया कि हमें सूचना मिलेगी तो हमारी टीम वहां पहुंच कर पहले मुआयना करेंगी और दोषियों पर कार्रवाई करेगी। ”

 

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