– गंभीर मरीजों के उपचार की जिम्मेदारी कौन लेगा

– अकेले अंबेडकर अस्पताल में उपचार हेतु रोजाना करीब 2600 मरीज पहुंचते हैं

रायपुर। आईएमए ने सोमवार की सुबह 6 बजे से मंगलवार की शाम 6 बजे तक ओपीडी बंद का आह्वान  किया है। इधर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने घड़ी चौक पर शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया। जिसमें उन्होंने साफतौर पर कहा है कि जबतक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता वो किसी प्रकार की सेवा नहीं देंगे।

चिकित्सक सुरक्षित नहीं

उनका कहना है कि कलकत्ता में जिस तरह चिकित्सकों के साथ व्यवहार हुआ है। प्रदेश में भी चिकित्सकों को आए दिन इसी तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। यहां भी चिकित्सक सुरक्षित नहीं हैं। जबतक दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो जाती वे सेवाएं नहीं देंगे। शासन की तरफ अपना ध्यान आकर्षित करने हेतु रायपुर मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक 11 बजे से शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं। आईएमए को चिकित्सा अधिकारी संघ, डेंटल एसोसिएशन और अन्य सामाजिक संगठन इस विरोध का समर्थन कर रहे हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने दिया आश्वासन

डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने उनकी सुरक्षा को लेकर उन्हें आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा है कि कोलकाता में डॉक्टरों से हुई मारपीट के विरोध में 17 जून को इलाज न किए जाने के संबंध में उन्होंने डॉक्टरों से अपील की है। उन्होंने कहा है कि चिकित्सकों द्वारा उठाए जा रहे वास्तविक मुद्दों के प्रति उन्हें सहानुभूति है। उन्होंने कहा है कि सुरक्षा से जुड़े मुद्दों में से एक पर हमने पहले ही सक्रिय कदम उठाए हैं। स्वास्थ्य सचिव ने अस्पतालों में पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के लिए सभी पुलिस अधीक्षकों को पहले ही लिख दिया है।

उन्होंने डाक्टरों से निवेदन किया है कि मरीजों की जरूरतों को बाकी चीजों से ऊपर रखा जाए। गंभीर रूप से बीमार लोगों की अनिवार्य देखभाल से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। उनके इलाज की वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि मरीजों को नुकसान न उठाना पड़े। इधर डॉक्टर राजभवन अपनी मागों को रखने जा रहे थे। जिन्हे घड़ी चौक पर रोक दिया गया है। जिसके बाद वे अंबेडकर चौक पर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

मरीजों को होनी वाली परेशानी का जिम्मेदार कौन?

आपको बता दें कि बगाल में चिकित्सकों के विरोध के बाद छत्तीसगढ़ में भी इसका असर दिखाई दे रहा है। प्रदेश में भी विरोध प्रकर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है। 24 घंटे ओपीडी बंद रकने की घोषणा के बाद मरीजों को काफी परेशानी होने वाली है। सरकारी और निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बाधित होंगी। ऐसे में सवाल उठता है कि मरीजों को होनी वाली परेशानी का जिम्मेदार कौन होगा ? अकेले अंबेडकर अस्पताल में रोजाना 2600 मरीज उपचार के लिए आते हैं। इनके अलावा आईपीडी में 1130 से ज्यादा मरीजों को उपचार रोज होता है। वहीं डीकेएस मे करीब 450 मरीजों के उपचार की व्यवस्था है। इसके अलावा रोजाना डीकेएस अस्पताल में भी 600 मरीज उपचार के लिए रोज आते हैं।