रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संसद में कहा कि ”लोकतंत्र में विपक्ष का सशक्त होना अनिवार्य शर्त है। प्रतिपक्ष के लोग नंबर की चिंता छोड़ दें। देश की जनता ने उन्हें जो नंबर दिया दिया। लेकिन हमारे लिए उनकी हर भावना मूल्यवान है।

जब सदन में हम उस चेयर पर एमपी के रूप में बैठते हैं तो पक्ष विपक्ष से ज्यादा निष्पक्ष का ज्यादा महत्व होता है। मैं उम्मीद करता हूं कि पक्ष विपक्ष से ज्यादा निष्पक्ष होकर हम इस सदन की गरिमा उठाने का प्रयास करेंगे।” तो वहीं देखना ये भी होगा कि क्या भाजपा छत्तीसगढ़ विधानसभा में मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा सकेगी?

दरअसल छत्तीसगढ़ में जब कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई तो इसका विश्लेषण कांग्रेस की जीत कम और बीजेपी को जनता द्वारा हराना ज्यादा माना गया। हार के बाद करीब एक महीने तक बीजेपी इस सदमे से नहीं उबर पाई। वहीं पार्टी के कई नेताओं को विपक्ष की भूमिका में सहज होना भी काफी मुश्किल लग रहा था।

भूपेश सरकार को 6 महीने पूरे होने के बाद अब बीजेपी ने जनता के हित के लिए एक बड़े आंदोलन का ऐलान किया है जिससे सवाल उठ रहे हंै कि क्या वाकई बीजेपी एक मजबूत विपक्ष की भूमिका में आ चुकी है? छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ने जब अपने कुछ फैसले वापस लिए तब उसका श्रेय बीजेपी ने लिया।

बीजेपी का दावा था कि उन्होंने एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाई तभी कांग्रेस सरकार को जनता के हित में फैसले लेने पड़ रहे है।

भाजपा का दावा कि उसके दबाव में सरकार कर रही काम:

हालांकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 6 महीनों में भारतीय जनता पार्टी अभी तक कोई बड़ा आंदोलन नहीं किया। केवल मुद्दों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का ही दौर चलता रहा। इसके बाद होती किरकिरी से उबरी बीजेपी ने पूर्ण शराब बंदी को लेकर सरकार को घेरना शुरू किया।

वहीं इसके बाद विधानसभा में किसानों की कर्ज माफी में हो रही अव्यवस्थाओं को लेकर भी बीजेपी ने घेरा। इसके बाद सरकार ने अपने किए घोषणा पत्र में बिजली बिल हाफ का जो वादा किया था, उसकी भी घोषणा की। बीजेपी का दावा रहा कि सरकार ने उनके दबाव में यह फैसला लिया।

मजबूती का एक प्रमाण ये भी:

भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि अगर उन्होंने मजबूत विपक्ष की भूमिका नहीं निभाई होती तो लोकसभा में जनता उन्हें हाथों हाथ नहीं लेती । उन्होंने सरकार की पोल खोली है और इसलिए बीजेपी को लोकसभा में जीत हासिल हुई है।

जब कि असलियत ये है कि उस दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देशभक्ति को लोगों ने वोट दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार प्रदेश के कई दौरे किए। तो वहीं अमित शाह ने भी छत्तीसगढ़ पर पूरी पकड़ जमाए रखी।

आदिवासियों के आंदोलन पर ये दलील:

एकात्म भवन पहुंचे भाजपा के राष्टÑीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह से जब मीडिया ने ये सवाल किया कि आदिवासियों के आंदोलन में भाजपा का कोई कद्दावर नेता क्यों नहीं दिखा? इस पर डॉ. रमन सिंह ने कहा कि हम वहां बिल्ला लगाकर नहीं जाते।

आंदोलन में हमारे लोग मौजूद थे। ये आदिवासियों का आंदोलन था विशुध्द रूप से। ऐसे में हम वहां समर्थन देने गए थे दिखाने नहीं। सवाल तो ये भी उठता है कि अगर गए थे तो कैमरों से कैसे बच निकले?

कांग्रेस को दी पर्याप्त मोहलत :

अब जब प्रदेश के पूर्व मुखिया डॉ. रमन सिंह जनता के हितों को लेकर 22 जून को प्रदेशव्यापी आंदोलन की बात कह रहे है। डॉ. रमन सिंह का कहना है कि बीजेपी ने भूपेश सरकार को 6 महीने का वक्त दिया और अब पानी सिर से उपर चला गया है इसलिए ये प्रदर्शन किया जा रहा है।

अधिकारियों ने भाजपा को हराया, अब फंसे:

प्रदेश में भाजपा की हुई हार में ज्यादातर हाथ प्रशासनिक मशीनरी का बताया जा रहा है। लोगों का कहना है कि अगर ये मशीनरी ठीक से काम करती तो इतनी करारी हार नहीं होती।

तो वहीं कांग्रेस सरकार में भाजपा सरकार में आला पदों पर पदासीन रहे रसूखदार अधिकारियों को कांग्रेस सरकार ने कोई तवज्जो नहीं दी। उस वक्त भाजपा ने भी चुप्पी साध ली। आलम ये है कि कई अधिकारियों के खिलाफ अभी भी जांच लंबित पड़ी हुई है। कइयों के खिलाफ जांच जारी है।

भाजपा को जो भी शिकायतें हों वो बताएं: मंत्री जयसिंह अग्रवाल

कांग्रेस की सरकार में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने कहा कि भाजपा को जो भी शिकायतें हों वो बताएं। उनका भी समाधान सरकार करेगी।

उन्होंने ये भी दावा किया कि भूपेश बघेल के 6 माह के शासनकाल में प्रदेश के किसानों का जितना भला हुआ, उतना पहले कभी भी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष को कोई भी शिकायत है तो वो हमें जरूर बताए, हमारी सरकार उसका समाधान करेगी।

 

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