विजय पचौरी
दंतेवाड़ा। घोर नक्सल क्षेत्र जहां नक्सली गोंडी भाषा में नक्सली घटनाओं को अंजाम देते हैं। उससे निपटने के लिए दंतेवाड़ा पुलिस के 50 पुलिसकर्मियों को गोंडी भाषा सिखाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गोंडी भाषा का या परीक्षण पुलिस लाइन कारली मैं करवाया जा रहा है ।
जो कि तीन महीने तक चलेगा यह ट्रेनिंग गोंडी भाषा के जानकार DRG के जवानों के द्वारा ही दी जा रही है । गोंडी भाषा सीखने का यह परीक्षण जिले के पुलिस अधीक्षक डॉ अभिषेक पल्लव भी ले रहे हैं।
नक्सल अभियान में और अन्य सामाजिक पुलिसिंग में गोंडी भाषा का ज्ञान ना होने के कारण जवान को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है क्योंकि बस्तर अंचल के अधिकांश क्षेत्र में हल्बी और गोंडी भाषा ही बोली जाती है ।और आपस में भाषा की समझ ना होने के कारण पुलिसकर्मी और ग्रामीण दोनों को नुकसान उठाना पड़ता है।
पुलिसकर्मियों और ग्रामीणों के बीच भाषा की समाज बढ़ाने के लिए पुलिस विभाग द्वारा यह अभिनव पहल की जा रही है। इस पहल से पुलिस विभाग को बड़े ही फायदे होंगे नक्सल क्षेत्रों में सर्चिंग के दौरान ग्रामीणों की भाषा समझ में नहीं आने के कारण कई बड़ी घटनाएं हो जाती है ।
इस भाषा को सीखने के बाद यहां के माहौल में सुधार हो सकता है ।पुलिस के जवान द्वारा गांव में जब पहुंचेंगे तो इनकी बोली और भाषा समझने और सुनने में आसानी भी होगी।
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