नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक में आलाअधिकारियों के इस्तीफे का क्रम लगातार लंबा होता जा रहा है। उर्जित पटेल के गवर्नर पद छोड़ने के ठीक 7 महीने बात आरबीआई को दूसरा बड़ा झटका लगा।

आज डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपना कार्यकाल पूरा होने के 6 महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया। कुल मिलाकर अभी तक 8 आला अधिकारी इस्तीफा दे चुके हैं।

ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि आखिर ऐसा क्या कारण है कि ये अधिकारी समय से पहले ही सेवाएं छोड़ने पर विवश हो रहे हैं। इसी की समीक्षा कर रही है हमारी ये खास रिपोर्ट

उर्जित पटेल के भरोसेमंद विरल :

विरल आचार्य कभी उर्जित पटेल की टीम के भरोसेमंद चेहरों में शुमार रहे। सूत्रों के मुताबिक, विरल आचार्य अब न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के सेटर्न स्कूल ऑफ़ बिजनेस में बतौर प्रोफेसर ज्वाइन करेंगे। उन्होंने 23 जनवरी 2017 को तीन साल के लिए डिप्टी गवर्नर का पदभार ग्रहण किया था।

विरल आचार्य ही नहीं, मोदी सरकार के पिछले पांच वर्षों में अहम पदों पर रहे आठ लोग इस्तीफा दे चुके हैं। कुछ ने सरकार से टकराव के कारण पद छोड़े तो कुछ ने निजी कारणों का हवाला दिया।

इस साल जनवरी में जब राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों ने सर्वे को लेकर मतभेद पर इस्तीफा दिया था, तो मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे राजनीतिक वजह करार दिया था।

वे अधिकारी जिन्होंने दिया इस्तीफा:

अरविंद पनगढ़िया :

अरविंद पनगढ़िया ने जून 2017 में नीति आयोग के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। मोदी सरकार ने पनगढ़िया को जनवरी 2015 में नीति आयोग का पहला उपाध्यक्ष बनाया गया था।

जाने-माने भारतीय-अमरीकी अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया ने इस्तीफे के पीछे कोलंबिया यूनिवर्सिटी की नौकरी को वजह बताई थी। 64 वर्षीय अरविंद पनगढ़िया ने कहा था कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी उन्हें और एक्सटेंशन नहीं दे रहा।

सुरजीत भल्ला :

जाने माने अर्थशास्त्री और अखबारों में कॉलम लिखने वाले सुरजीत भल्ला ने पिछले साल दिसंबर में इस्तीफा दिया था। वह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद की पार्ट-टाइम सदस्य थे। उन्होंने ट्विटर के माध्यम से पद छोड़ने की जानकारी देते हुए कहा था, “मंैने पीएमईएसी की पार्ट-टाइम सदस्यता से मैंने एक दिसंबर को इस्तीफा दे दिया है। ”

अरविंद सुब्रमण्यन :

अरविंद सुब्रमण्यन ने जून 2018 में भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार का पद छोड़ा था। उनके पद छोड़ने से पहले ही केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर लिखे एक पोस्ट में कहा था कि मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने पारिवारिक कारणों के चलते अमेरिका लौटने का निर्णय किया है,

और उनके पास अरविंद सुब्रमण्यन की बात मान लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया है। इसके बाद उन्होंने अरविंद सुब्रमण्यन के सरकार के साथ सफर का जिक्र करते हुए उन्हें धन्यवाद भी दिया। वहीं सुब्रमण्यन ने पद छोड़ते वक्त अरुण जेटली को ड्रीम बॉस बताया था।

उर्जित पटेल :

अर्थशास्त्री उर्जित पटेल ने नोटबंदी से दो महीने पहले चार सितंबर 2016 को रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया के 24 वें गवर्नर का पदभार संभाला था। वह दस दिसंबर 2018 तक इस पद पर रहे। हालांकि उर्जित पटेल ने बताया कि वह निजी कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं।

उर्जित पटेल का कार्यकाल सितंबर 2019 में खत्म होने वाला था। आरबीआई के कोष और इसकी स्वायत्तता को लेकर सरकार से जारी गतिरोध के चलते उर्जित पटेल के इस्तीफा देने की खबरें आईं थीं।

विजयलक्ष्मी जोशी :

सितंबर, 2015 में जब स्वच्छ भारत अभयिान को एक साल पूरा होने को थे, तभी अभियान की प्रमुख विजय लक्ष्मी जोशी ने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, गुजरात काडर की आईएएस अफसर विजयलक्ष्मी जोशी ने इस्तीफा देने के पीछे निजी वजहों का हवाला दिया था।

1980 बैच की अधिकारी विजयलक्ष्मी ने बाद में केंद्र सरकार से सेवा पूरी होने के तीन साल पहले ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। इस्तीफे के पीछे भले ही विजय लक्ष्मी ने निजी वजहों को कारण बताया था, मगर सूत्रों की मानें तो जोशी बिना उचित सलाह-मशविरे के तय किए जा रहे लक्ष्यों और इस मिशन को लेकर स्पष्टता न होने से नाराज थीं। मिशन से जुड़ने से पहले विजय लक्ष्मी पंचायती राज मंत्रालय में सेक्रेटरी थीं।

सांख्यिकी आयोग के सदस्यों ने भी छोड़ा पद :

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के दो स्वतंत्र सदस्यों पीसी मोहनन और जेवी मीनाक्षी ने इस साल जनवरी में इस्तीफा दिया था। दोनों सदस्यों के इस्तीफे के पीछे लेबर फोर्स सर्वे में देरी और जीडीपी के बैक-सीरीज आंकड़ों पर असहमति को कारण बताया गया।

हालांकि जब इस्तीफे पर विवाद पैदा हुआ तो सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि आयोग की बैठकों में दोनों सदस्यों ने कोई चिंता प्रकट नहीं की थी।

 

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