रायपुर। छत्तीसगढ़ संवाद ( Chhattisgarh Samwad ) द्वारा किसी भी फर्म या एजेंसी को ब्लैक लिस्ट नहीं किया गया, बल्कि उनका इंपैनेलमेंट निरस्त कर दिया गया था। इसका खुलासा आरटीआई में हुआ है। जबकि कुछ माह पूर्व ऐसी खबरें आ रही थी कि जनसंपर्क विभाग ने संवाद की 48 फर्मों व एजेंसियों को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। आरटीआई के जवाब विभाग द्वारा जानकारी दी गई है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में किसी भी फर्म या संस्था को ब्लैक लिस्टेड नहीं किया गया है।
जनवरी माह में छत्तीसगढ़ संवाद ( Chhattisgarh Samwad ) में काम कर रहीं करीब 48 एजेंसियों को बाहर कर दिया गया था। इन एजेंसियों को गैर जरूरी करार दिया गया था। कुछ पर आर्थिक अनियमितता के मामले में जांच भी बिठाई गई थी। मगर अब इन्हीं कंपनियों को गुपचुप तरीके से संवाद में एकबार फिर बिठाने की तैयारी जनसंपर्क विभाग ने कर ली है। हाल ही में संवाद में इंपैनलमेंट हेतु टेंडर बुलाए गए थे। जिसमें 40 कंपनियों के आवेदन आए। इसमें वे एजेंसियां भी शामिल हैं जिनपर आर्थिक अनियमितता के आरोप में जांच बिठाई गई थी।
टेक्निकल राउंड क्लियर
हाल ही में संवाद में इंपैनेलमेंट हेतु मंगाए गए थे। उन एजेंसियों ने भी इंपैनेलमेंट हेतु हिस्सा लिया है। इन एजेंसियों पर आर्थिक अनियमितता के आरोप था और कुछ एजेंसियों को गैर जरूरी करार देते हुए उनका इंपैनेलमेंट निरस्त कर दिया गया। कुछ एजेंसियों ने नाम बदलकर भी टेंडर भरा है। हैरत की बात यह है कि अब इन एजेंसियों ने टेक्निकल राउंड भी क्लियर कर लिया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि यदि इन कंपनियों पर जांच बिठाई गई थी तो किस आधार पर इन्हें टेक्निकल राउंड में क्लियर कर दिया गया है? यदि इन एजेंसियों की कार्यशैली सहीं थी तो जनवरी में आखिर क्यों इन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया?
कौन सी हैं ये एजेंसियां
कंसोल इंडिया
क्यूब्स मीडिया
क्या था मामला
भूपेश बघेल सरकार ने पूर्व बीजेपी सरकार के समय प्रचार प्रसार के नाम पर 250 करोड़ रुपए के बजट के बावजूद 400 करोड़ रुपए से भी अधिक खर्च किए जाने की जांच का ऐलान किया था। इस मामले में लगभग 150 करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि की हेरफेर की गई। इस मामले की जांच हेतु आयुक्त तारण प्रकाश सिन्हा ने अनियमितता की जांच हेतु छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। संवाद के संचालक उमेश मिश्र के नेतृत्व में इस कमेटी में स्वराज दास, जमुना सांडिया, पंकज गुप्ता, आर के क्षत्रे और शरतचंद्र पात्र शामिल थे।
इन फर्मों पर गिरी थी गाज
कन्सोल इंडिया कम्युनिकेशन प्रा.लि., क्यूब्स मीडिया एंड ब्रांडिंग प्रा.लि., रायपुर, हरप्रीत सिंह ढोढी, रायपुर, मूविंग पिक्सल प्रा. लि. अहमदाबाद, एसबी मल्टीमीडिया प्रा. लि., रायपुर, पेलोरस टेक्नोलॉजी प्रा.लि. मुंबई, टचवुड इंटरटेनमेंट नई दिल्ली, व्यापक इंटरप्राइजेज रायपुर, विनायक एडवरटाइजिंग, एसएस एडवटाइजर, वीडियो वाल इंडिया प्रा. लि. मुंबई, एक्सिस माय इंडिया प्रा. लि. मुंबई, वॉर रूम स्ट्रेतजी अहमदाबाद, टेक्नोविजन प्रा.लि. मुंबई, संगीता एम. रसेली मिश्रा, भोपाल, सत्येन्द्र खरे भोपाल, यूएनडीपी नई दिल्ली, नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर सर्विसेज, बेटर कम्यूनिकेशन प्रा. लि. मुंबई।