रायपुर।
देश में शिक्षा का एक बहुत बड़ा बाजार है। इसमें खुलेआम कमीशन का खेल चलता है। चाहे वो स्कूल हों या फिर पुस्तक विक्रेता, सभी पैसे कमाने में लगे हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम जैसी संस्थाओं को लगातार घाटा हो रहा है। अब पापुनि ने पालकों से कहा है कि वे 2020-21 से ऐसी पुस्तकों के प्रकाशन से तौबा करने जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इससे निगम को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
किताबों पर 15 प्रतिशत छूट का ऐलान:
एनसीईआरटी की पुस्तकें उसके गोदाम से खरीदें और 15 फीसदी छूट प्राप्त करें। तो साथ ही साथ पापुनि के अधिकारियों ने दुकानदारों से भी आग्रह किया है कि वे ज्यादा से ज्यादा पापुनि की पुस्तकें बेंचने का प्रयास करें। जब कि पापुनि में पंजीकृत सौ से ज्यादा दुकानदार कमीशन की लालच में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें बेंच रहे हैं। जब कि पापुनि की पुस्तकें उनसे सस्ती हैं।
क्या है पूरा मामला:
एनसीईआरटी की 16 लाख पुस्तकें छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम ने छापी थीं। ये पुस्तकें 11वीं-12वीं की थीं। तो वहीं पापुनि में पंजीकृत सौ से ज्यादा दुकानदारों ने 9 लाख किताबें तो खरीद लीं, मगर 7 लाख पुस्तकें आज भी पापुनि के गोदम में पड़ी हैं। ऐसे में विभाग के महाप्रबंधक ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि जो भी पालक गोदाम आकर पुस्तकें खरीदेगा उसको 15 फीसदी तक की छूट दी जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने दुकानदारों से निजी प्रकाशकों की पुस्तकें न बिक्री कर पापुनि की पुस्तकें बेंचने का अनुरोध किया है। तो वहीं निगम ने ये भी दावा किया है कि अगर इसके बावजूद भी किताबें नहीं बिकीं तो इनको प्रदेश की शासकीय शालाओं के पुस्तकालयों को दान कर दिया जाएगा। इसके बाद से पापुनि एनसीईआरटी तथा अन्य सशुल्क पुस्तकों का प्रकाशन नहीं करेगा।
पापुनि की किताबों के दाम भी कम:
गणित भाग-1 व भाग-2 की पापुनि की पुस्तक 180 रुपए की है। तो वहीं निजी प्रकाशकों की पुस्तक 300 से 365 रुपए में बिक रही है। वहीं जीव विज्ञान की पापुनि की पुस्तक 200 रुपए की है। निजी प्रकाशकों की यही पुस्तक 350 से 365 रुपए में बेंच रहे हैं। पापुनि की रसायन भाग-1 व भाग-2 की किताब 2 सौ की है। तो वहीं निजी प्रकाशकों की पुस्तक का दाम 350 से लेकर 385 रुपए तक है। तो वहीं भौतिक भाग-1 तथा भाग-2 की पापुनि की पुस्तक का दाम 235 रुपए है। यही किताब निजी प्रकाशकों की अगर आप खरीदेंगे तो आपको 350 से 390 रुपए चुकाने पड़ेंगे। अर्थशस्त्र में सांख्यकी भाग-1 व भाग-2 की पापुनि की पुस्तक महज 140 रुपए की है। तो निजी प्रकाशकों की यही पुस्तक 165 से 195 रुपए में बिक रही है। व्यवसाइक अध्ययन की पापुनी की पुस्तक 70 रुपए की है। निजी प्रकाशकों की पुस्तक 125 से 199 रुपए में बिक रही है। लेखाशास्त्र, वित्तीय लेखांकन भाग-1 व भाग -2 की पापुनि की पुस्तक 145 रुपए की है। निजी प्रकाशकों की पुस्तक का दाम 225 से 310 रुपए बताया जा रहा है। पापुनि अधिकारियों के किए वादे के मुताबिक अगर इन पुस्तकों के मूल्य में से 15 फीसदी की कमी और कर दी जाए तो पुस्तकें बेहद सस्ती साबित होंगी। इसके अलावा इनकी गुणवत्ता भी बेहतरीन होगी।
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