नई दिल्ली। नक्सलवाद से पीड़ित होकर दूसरे राज्यों में पलायन कर चुके आदिवासियों को पड़ोसी राज्यों में भी जमीन की अदला-बदली करने का अधिकार होगा। ये फैसला ट्राइबल मिनिस्ट्री की एक बैेठक में लिया गया। बैठक में ट्राइबल मिनिस्ट्री के ज्वाइंट सेक्रेटरी और एफआरए के विभाग प्रमुख केएस कोनर भी मौजूद थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की मांग पर कहा कि वन अधिकार कानून के तहत आदिवासी अपनी पैतृक जमीन के बदले दीगर राज्यों या फिर अपने ही राज्य में वन अधिकार पट्टे के तहत जमीन ले सकते हैं।
कुलदेवता को मनाया तो सरकार भी मानी:
दरअसल दूसरे राज्यों से आए आदिवासियों ने 12-13 जून को बस्तर के सुकमा में पेन-पंडुम (कुलदेवता को मनाने का त्यौहार) मनाया। उनकी मान्यता है कि पैत्रिक गांव छोड़कर जाने से उनके कुलदेवता नाराज हो गए थे। अब जैसे ही उनके कुल देवता प्रसन्न हुए, सरकार भी मान गई। इसके तहत अब वन अधिकार अधिनियम के हिसाब से आदिवासी अपनी जमीन की अदला-बदली पड़ोसी राज्यों में कर सकते हैं।
क्यों किया था छत्तीसगढ़ से पलायन:
घोर नक्सल हिंसा से पीड़ित छत्तीसगढ़ के बस्तर में साल 2005 में सलवा जुडूम की शुरुआत हुई। दावा किया गया कि आदिवासी नक्सल हिंसा के खिलाफ खुद ही एकजुट हो गए हैं और उनके खिलाफ शांति की लड़ाई लड़ रहे हैं। हालांकि सलावा जुडूम के सदस्यों पर हिंसा करने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई और करीब पांच साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी। ऐसे में जो सलवा जुडूम से जुड़े परिवार थे नक्सलियों के भय से अपनी जमीन छोड़कर पड़ोसी राज्यों में पलायन कर गए। तेलंगाना, ओडिशा, सीमांध्र में विस्थापित हुए ये परिवार अब छत्तीसगढ़ वापस आना चाहते हैं। इसके तहत ही पेन पंडुम का आयोजन किया गया। आदिवासियों की मान्यता है कि अपनी पैत्रिक जमीन और गांव छोड़कर जाने से उनके कुल देवता नाराज हो गए हैं। पहले उनको मनाया जाए, उसके बाद ही कोई दूसरा कदम उठाया जा सकता है। इसी के तहत 12-13 जून को सुकमा में तमाम प्रदेशों से आए आदिवासी इकट्ठे हुए। उन्होंने पेन पंडुम मनाया।
सर्वे फॉर्म भराने की कवायद शुरू:
केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा ऐसे परिवारों से वन अधिकार कानून के तहत विस्थापन के लिए सर्वे फार्म भी भराने की कवायद कर रहा है। इसके तहत तेलंगाना के ग्राम कृष्णा सागर (देवगुंपु ) पंचायत कृष्णा सागर ब्लॉक भूरगुमफाड़ जिला बद्रादि के कुछ आदिवासी परिवारों के आवेदन लिए गए हैं। बताया जा रहा है कि ये परिवार सलवा जुडूम के दौरान छत्तीसगढ़ से तेलंगाना चले गए थे। अब वापसी की प्रक्रिया शुरू हो रही है। सबकुछ ठीकठाक रहा तो जल्दी ही ये अपनी जमीन पर खेती करते नजर आएंगे।

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