रायपुर। प्रदेश की अफसरशाही ने न सुधरने की कसम खा ली है। अब आदेश चाहे सीएम का हो या फिर पीएम का काम वो अपनी मर्जी से ही करेंगे। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग की अफसरशाही का शर्मनाक चेहरा आज उस वक्त देखने को मिला जब रैबीज से पीड़ित छात्र के इलाज के लिए अफसरों को सीएम के आदेश के बाद सचिव ने पत्र लिखा। नारायणपुर के सीएमओएच आनंदराम ने दावा किया कि सुबह 6 बजे उनकी टीम रवाना हो गई है। शाम तक बच्चे को लेकर आ जाएगी। दोपहर में कहा कि उनका संपर्क कट गया है। और शाम को मोबाइल आउट आॅफ रीच हो गया। तमाम आदेश-निर्देश को ठेंगा दिखाकर साहब नदारद हो गए। और उधर दवाओं के अभाव में तड़प-तड़प कर एक अनाथ आदिवासी बच्चा मर गया।
स्वास्थ्य विभाग का शर्मनाक कारनामा:
इससे दु:खद बात और क्या हो सकती है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आदेश को भी उनके ही विभाग ने सरेआम ठेंगा दिखा दिया। जिन आदिवासियों की हिमायत का दिखावा किया जाता है, ये उनके कितने खैरख्वाह हैं ये देखने में आ गया। ऐसे में अगर सीएमओएच आनंद राम अगर अपडेट न हों तो उनको हम अपडेट किए देते हैं कि अब हेमंत अलामी इस जहां में नहीं रहा। आप कोई फर्जी कहानी गढ़ कर सरकार को सुना दीजिए।
मेकाहारा से भी गया भगाया:
प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल का दम भरने और अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होने वाले मेकाहारा के डॉक्टर्स ने इस बच्चे को 3 दिन पहले ये कहकर भगा दिया था कि इसको ले जाओ ये दो दिन में मर जाएगा। दूसरों को नियम कायदे बताने वाले ये डॉक्टर्स आखिर ज्योतिषी कब से हो गए? हेमंत तो महज एक उदाहरण भर है, छत्तीसगढ़ का स्वास्थ्य विभाग प्रदेश में हो रही ऐसी तमाम मौतों का जिम्मेदार है। इनके ऊपर माननीय हाईकोर्ट को स्वत: संज्ञान लेकर कठोर कार्रवाई करने की दरकार है।
क्या ऐसे डॉक्टर्स का स्टाइपेंड बढ़ाना उचित होगा:
इनके कारनामें को देखकर क्या ऐसा लगता है कि ऐसे डॉक्टर्स का स्टाइपेंड बढ़ाना उचित होगा? अभी हाल ही में जूनियर डॉक्टर्स ने स्टाइपेंड बढाने को लेकर हड़ताल की थी। ऐसे में क्या इसी करनी पर इनका स्टाइपेंड बढ़ाया जाना चाहिए।