कांकेर। जिले के कोयलीबेड़ा थाना क्षेत्र में आदिवासी बच्चों की तस्करी (tribal children trafficked)का बड़ा मामला सामने आया है। पुलिस ने यहां से 8 लड़कियों और 4 आदिवासी बच्चों की तस्करी (tribal children trafficked) कर बाहर ले जाने के आरोप में 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसके बाद उन्होंने बताया कि वे इन बच्चों को धान की रोपा लगवाने पखांजुर ले जा रहे थे। गुरुवार को ये जानकारी पुलिस अधीक्षक गौतम ठाकुर ने दी। उन्होंने बताया कि आरोपियों ने बच्चों को अपनी जाल में फंसाने के लिए आदिवासी बाहुल्य कोयलीबेड़ा में मोबाइल शॉप खोल रखी थी, जहां आने वाले नाबालिगों को शहरी चमक दमक, ऐशो आराम की जिंदगी व रुपयों की लालच देकर ब्रेन वाश किया जा रहा था, जिससे वे रैकेट के चक्कर में फंस गए और बिना किसी को बताए बाहर जाने मोबाइल दुकान पहुंच गए थे। जहां उनको मोबाइल दुकान के बगल एक कमरे में रखा गया था। मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी और पुलिस ने रेड डाल कर इनको बाहर निकाला और आरोपी मिथुन चौधरी को गिरफ्तार कर लिया। तो वहीं पुलिस के आने की सूचना उसके दो सहयोगियों अनिमेष चौधरी और संजय हलदार को मिल गई। दोनों फरार हो गए। बाद में पुलिस ने उनको अंतागढ़ से गिरफ्तार किया है।
12 बच्चों को भेजने वाले थे बाहर :
एसडीओपी कुपलेश पात्रे ने बताया कि आरोपियों के चंगुल में फंसे 12 आदिवासी नाबालिगों की तस्करी(tribal children trafficked) की तैयारी कर ली गई थी। वे सभी बाहर भेजे जाने वाले थे। इससे पहले मामले का भंडाफोड़ हो गया। जिले के अंदरूनी व नक्सल संवेदनशील गांव के आदिवासी बालक- बालिकाओं पर इस रैकेट से जुड़े दलालों की नजर लंबे समय रही है। कोयलीबेड़ा के पूर्व भी आमाबेड़ा, अंतागढ़ व दुधावा इलाके से इसी तरह लालच देकर बच्चों को बाहर भेजा चुका है।
कैसे फंसाया गया बच्चों को जाल में:
कोयलीबेड़ा पुलिस के मुताबिक आरोपियों ने कोयलीबेड़ा में कुछ माह पूर्व ही मोबाइल की दुकान खोली थी, जहां आने वाले ग्रामीण नाबालिग बालकों को लालच दिया जाता था। दुकान संचालक मिथुन चौधरी यहां आने वाले लोगों को लालच देकर उन्हें बहलाता फुसलाता था। करीब माह भर पूर्व मिथुन ने नक्सलवाद प्रभावित इलाके कागबरस व गट्टाकाल इलाके के एक 17 साल के उस बच्चे को दो हजार रुपए का लालच दिया। जो इलाके के अन्य बालक- बालिकाओं को तैयार करने दलाल के रूप में काम करा रहा था।
पुलिस के मुताबिक इसी बालक ने इन दोनों गांव के बालक -बालिकाओं से अलग- अलग मिल उन्हें रुपयों का लालच दिखा बाहर जाने तैयार कर लिया था। जब 12 आदिवासी बालक- बालिकाओं का एक जत्था तैयार हो गया तो उसे रैकेट के लोगों ने 7 जुलाई को बाहर भेजने साजिश बनाई गई थी। इसके लिए बाइक से युवक द्वारा अलग -अलग लोगों को मोबाइल दुकान लाकर जमा किया गया, लेकिन इससे पहले पूरा मामला खुल गया।
जंगल में छिपे थे आरोपी :
कोयलीबेड़ा एसडीओपी कुपलेश पात्रे ने बताया कि घटना के बाद से फरार आरोपी भाग कर जंगल में छिप गए थे। पुलिस हर जगह अपने मुखिबर छोड़ रखे थे। आरोपी अनिमेष चौधरी तथा संजय हालदार दोनों कोयलीबेड़ा से फरार हो गए। वे बीते 8 जुलाई को पूरे समय जंगल में छिप कर पुलिस पर नजर बनाए हुए थे। जैसे ही मामला शांत हुआ 9 जुलाई को वे यहां से भागने के लिए जंगल- जंगल होते हुए अंतागढ़ पहुंचे, जहां मौजूद पुलिस के मुखबिर ने उनकी संदेहास्पद हरकतों को देख सूचना दी और फिर उन्हें पकड़ा गया।
वर्जन-
हमने मामले की जानकारी मंगवाई है। पूरी जानकारी हो जाने के बाद इस पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. संजय कन्नौजे
प्रभारी कलेक्टर
कांकेर ।

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