नई दिल्ली। भारतीय निर्वाचन आयोग (election commission of India) ने तृणमूल कांग्रेस(tmc) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (cpi) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (ncp) को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनका राष्ट्रीय दल का दर्जा खत्म कर दिया जाए? ऐसा इसलिए किया गया कि इन पार्टियों का लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन निर्वाचन आयोग के मानकों के हिसाब से नहीं रहा। हाल में हुए लोकसभा चुनावों में टीएमसी (tmc) के पास 22 सीपीआई(cpi) के पास 3 और एनसीपी(ncp) के हिस्से में 5 सीटें आई हैं। तो वहीं बसपा (bsp)कुल 10 लोकसभा सीटें और कुछ विधानसभा सीटों के साथ इस खतरे से बाहर बताई जा रही है। ऐसे में निर्वाचन आयोग ने तीनों पार्टियों को अपना पक्ष रखने के लिए 5 अगस्त तक का समय दिया है। टीएमसी(tmc) एनसीपी (ncp) और सीपीआई (cpi) के सिर पर ये खतरा मंडरा रहा है।

क्या है इसका मापदंड:
दरअसल निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के तहत किसी राजनीतिक दल को तब राष्ट्रीय स्तर का दल माना जाता है जब तक उसके उम्मीदवार लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार या अधिक राज्यों में हों। उस पार्टी को कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल हो। इसके अलावा लोकसभा में उसके कम से कम चार सांसद हों। इसके पास कुल लोकसभा सीटों की कम से कम दो प्रतिशत सीटें होनी जरूरी हैं। उसके उम्मीदवार कम से कम तीन राज्यों से आने चाहिए।

अभी किनके -किनके पास है राष्ट्रीय दल का दर्जा?
अब तक, TMC, BJP, BSP, CPI, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC), NCP और नेशनल पीपुल्स पार्टी ऑफ मेघालय को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है। 23 मई को संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में TMC को 22, CPI को 3 और NCP के खाते में पांच सीटें आई हैं।

बसपा के सिर से हटा खतरा:
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद भाकपा, बहुजन समाज पार्टी और एनसीपी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खोने के संकट का सामना कर रही थीं। जबकि साल 2016 में उन्हें राहत मिल गई जब आयोग ने अपने नियमों में संशोधन करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय और राज्य स्तर के दर्जे की समीक्षा पांच साल की जगह हर 10 साल के अंतराल पर की जाएगी।

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