रायपुर। राज्य सरकार ने राज्य सहकारिता निर्वाचन आयोग के कमिश्नर (Commissioner of State Cooperative Election Commission) गणेश शंकर मिश्रा (Ganesh Shankar Mishra) को उनके पद से हटा दिया है। उनकी जगह पर आईएएस मनोज पिंगुआ (IAS Manoj Pingua) को ज़िम्मेदारी दे दी गई है। पिंगुआ अपनी मौजूदा जिम्मेदारियों के साथ सहकारिता निर्वाचन आयुक्त का भी जिम्मा संभालेंगे। हाल ही में भिलाई के महापौर व विधायक देवेन्द्र यादव (Mayor of Bhilai and MLA Devendra Yadav) ने गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) को पत्र लिखकर पूर्व आइएएस गणेश शंकर मिश्रा (Former IAS Ganesh Shankar Mishra) के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की थी।

कौन हैं गणेश शंकर मिश्रा
गणेश शंकर मिश्रा पूर्व आईएएस (Former IAS Ganesh Shankar Mishra) अधिकारी हैं। वे सितम्बर 2018 में रिटायर हुए थे। रिटारमेंट के बाद पिछली सरकार ने इन्हें अक्टूबर 2018 में सहकारिता निर्वाचन आयोग का आयुक्त बना दिया था। मिश्रा भाजपा सरकार में सत्ता के चहेते नौकरशाह माने जाते थे।
क्या है रेडियस वाटर घोटाला
शिवनाथ नदी के 23 किलोमीटर हिस्से को रेडियस वॉटर नामक निजी कंपनी को 22 सालों के लिए गिरवी रखने का समझौता किया गया था। यह समझौता मध्य प्रदेश औधोगिक केंद्र विकास निगम रायपुर के तत्कालीन प्रबंध संचालक गणेश मिश्रा ने 5 अक्टूबर 1998 को किया था जिसमें घोटाला करने का आरोप गणेश शंकर मिश्रा पर लगा है। शिवनाथ नदी के 23 किमी हिस्से वाले बोरई जल प्रदाय स्कीम को निजी कंपनी रेडियस वाटर को अनुचित लाभ पहुंचाने का मामला विधानसभा की जांच में भी साबित हो चुका था। इसमें कपंनी को यह पानी 22 साल के लिए लीज पर देने 5 अक्टूबर 1998 को अनुबंध किया गया था। उस वक्त मिश्रा एमपीकेवीएन के एमडी हुआ करते थे। इस मामले में विस समिति ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की थी।
25 जुलाई को विधायक देवेन्द्र यादव (MLA Devendra Yadav) ने रेडियस वाटर घोटाले के संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की थी। भ्रष्टाचार के इस बड़े मामले में विधानसभा की तरफ से गठित जांच कमेटी ने 07 में रिपोर्ट पेश की थी। इसमें समिति ने तत्कालीन कलेक्टर आईएएस गणेश शंकर मिश्रा को दोषी पाते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी। समिति ने एक माह के भीतर आपराधिक मामला दर्ज करने कहा था। परंतु रमन सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में पड़े रहने दिया।