रायपुर। राजधानी में एक ही दिन की मूसलाधार वर्षा ने रायपुर के स्मार्ट सिटी योजना (Smart city scheme) की पोल खोलकर रख दी है।भारी बारिश ने शहर को स्मार्ट बनाने वाली योजना के दावों की झूठी हकीकत (False reality of claims) को जनता के सामने उजागर कर दिया।शहर के प्रमुख मार्गों सहित हमारे प्रदेश के माननीयों के आने- जाने वाले रास्ते भी प्रशासनिक (Administrative) उदासीनता की भेंट चढ़ गए हैं।

माननीयों की आंख में दिखने के बावजूद ऐसे हाल
आलम तो ये है कि शासन-प्रशासन (Government administration) की आंखों में दिखने के बावजूद ऐसी स्थिति को नजरअंदाज कर दिया जाता है। इसके साथ ही भ्रष्ट ठेकेदारों और अधिकारियों की लापरवाही (Negligence of officers) पर कार्यवाही की बजाय आला अधिकारी मामले से पल्ला झाड़ने में लगे रहते हैं।

आज के मंजर की बात करें तो,एक ही दिन की बरसात में एयरपोर्ट के मार्गों (Airport Routes) सहित सड़कों के गड्ढों और नालियों से पानी उफान पर आ गया है।सड़कें लबालब पानी से भरी हुई हैं,जिनसे राहगीरों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
करोड़ों के वारे- न्यारे कभी तो ईमानदारी से काम करो प्यारे
अब सवाल ये उठता है कि जिन अधिकारियों और ठेकेदारों Officers and contractors ने स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों के वारे -न्यारे कर दिए ,उनपर आखिर कब गाज गिरेगी? कब सड़कों ,नालियों के खस्ता हालातों से शहरवासियों को निजात मिलेगी? एक ओर शासन-प्रशासन Government administration शहर को स्मार्ट सिटी बताकर वाहवाही लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ता।वहीं दूसरी ओर सड़कों- नालों की स्थिति उनकी नाकामयाबियों की दास्तां अपनी स्थितियों से ही बयां कर रही है।
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