रायपुर। प्रदेश में पत्रकारों से मारपीट और आपराधिक मामलो में फिर तेजी आई है। बीते दो महीनों में आधा दर्जन से अधिक पत्रकारों पर पुलिस केस दर्ज किया और उनके साथ मारपीट की गई। प्रदेश के मुखिया पत्रकारों के हित में और उन्हें सुविधाएं देने भले ही योजनाये बना रहे हैं पर शासन के भ्रष्ट अधिकारी और नेता पत्रकारों का सर कुचलने में लगे है। अंबिकापुर से लेकर बस्तर तक जुलाई और अगस्त दो महीने में ही 6 पत्रकारों की शिकायत पुलिस में किया गया है।
पूर्व की सरकार में पत्रकारों पर बेधड़क मारपीट और आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया। पुलिस विभाग के मुखिया मातहतों को जाँच कर कार्रवाई के निर्देश देते पर मातहत उसे निर्देश को कचरे के ढेर में डाल देते थे, सरकार बदली तो आमजन के साथ पत्रकारों को भी उम्मीद जगी की ये सरकार पत्रकारों पर ध्यान देगी, अब झूठे प्रकरण दर्ज नहीं होंगे, पर उम्मीदें धूमिल हो रही हैं। खबरों के प्रकाशन के बाद बौखलाहट में संबंधित नेता और अफसर सीधे पुलिस में शिकायत कर रहे हैं, और पुलिस भी शिकायत मिलते ही उसे एफआईआर में तब्दील कर रही है।
गुजरे दो माह में इन पत्रकारों के खिलाफ हुआ मामला दर्ज
टीवी चैनल के पत्रकार योगेश मिश्रा ने अपने चैनल में खबरे दिखाई, वो खबरें जो पीड़ित की जुबानी थी। खबरों में साम्प्रदायिकता फ़ैलाने के आरोप में पत्रकार योगेश मिश्रा सहित चार पर 10 जुलाई को बिना जाँच पड़ताल किये पुरानीबस्ती थाना में एफआईआर दर्ज किया गया।
योगेश मिश्रा
टीवी चैनल पत्रकार
बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ल पर बीजापुर के विधायक विक्रम मंडावी की शिकायत पर सिविल थाना में धरा 384 के अंतर्गत 7 जुलाई को एफआईआर दर्ज किया गया। विधायक ने आरोप लगाया की पत्रकार उससे डेढ़ लाख रुपये मांग रहा था और नहीं देने पर सोशल मीडिया में बदनाम करने की धमकी दे रहा था। इसमें में बिना जाँच पड़ताल के सीधे एफआईआर कर दी गई।
कमल शुक्ल
वरिष्ठ पत्रकार, बीजापुर
टीवी चैनल के पत्रकार राहुल गिरी गोस्वामी ने संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में चल रहे गड़बड़ियों और भ्रस्टाचार की खबर चैनल और वेबमीडिया में चलाया था, खबरों के प्रकाशन के बाद विभाग ने उपसंचालक जगदेव राम भगत ने उच्चधिकारियों से अनुमति लिए बिना पत्रकार पर अपमानित करने का आरोप लगाते हुए 17 जुलाई को अनुसूचित जाति और जनजाति थाना रायपुर में शिकायत कर दी। शिकायत पर पत्रकार ने दस्तावेजों के साथ बयान दर्ज करवाया है। विभाग में संचालक के मौजूद रहते उपसंचालक ने शिकायत किया है।
राहुल गिरी गोस्वामी
टीवी चैनल पत्रकार
एक मैग्जीन के लिए लिखने वाले खोजी पत्रकार विक्रम सिंह चौहान पर पुलिस ने वर्ष 2015 में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री महेश गागड़ा के शिकायत पर सिटी कोतवाली थाना में धारा 384,419,420,468,469,471, के अंतर्गत एफआईआर दर्ज किया था। गागड़ा जब मंत्री रहे और बीजेपी की सरकार रही तब तक पत्रकार से न जाँच की गई न पूछताछ की गई। अब सरकार और मंत्री पद दोनों ही चला गया तो चार साल बाद जांच की जा रही है। विक्रम चौहान ने 10 सितम्बर 2015 में तत्कालीन मंत्री महेश गागड़ा पर किसी की हत्या करने और तमिलनाडु के यूनिवर्सिटी से फर्जी डिग्री लेने सबंधी खबरे प्रकाशित किया था। जिस पर मंत्री ने थाने में शिकायत किया था, पुलिस ने शिकायत के आधार पर बिना जाँच पड़ताल के एफआईआर दर्ज कर लिया।
विक्रम सिंह चौहान
खोजी पत्रकार
सूरजपुर जिले में एक दैनिक अख़बार में ब्यूरो चीफ में कौशलेन्द्र को खबरे प्रकाशित करने पर दबंगो ने अपहरण कर बेहोश होते तक लाठी डंडो से मारा और मरा समझ छोड़ दिया। मारपीट के अगले दिन 6 अगस्त को नाबालिक से छेड़खानी के आरोप में धारा 354, 456 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज कर दिया गया। पीड़ित पत्रकार का अंबिकापुर जिला अस्पताल में इलाज चला रहा है। पत्रकार ने अवैध कारोबार पर पुलिस की निष्क्रियता को लेकर खबर प्रकाशन किया था। तस्वीर विभत्स होने के कारण उनकी तस्वीर हम पोर्टल में साझा नहीं कर रहे हैं।