भिलाई। देश भर में स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग हेतु आम लोगों को प्रेरित करने वाले स्वदेशी प्रचारक राजीव दीक्षित की मौत की जांच (Death of Rajiv Dixit) फिर शुरु होगी। इस हेतु PMO ने भिलाई पुलिस को निर्देश दिए हैं।  दरअसल ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि राजीव दीक्षित (Swadeshi pracharak Rajiv Dixit) की मौत संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई थी। उनके शव का पोस्टमार्टम नहीं करवाने के आरोप भी लगे थे।

राजीव दीक्षित (Rajiv Dixit) ने ही विदेशी हटाओं और स्वदेशी आपनाओं का नारा दिया था। जिसके बाद योग गुरु बाबा रामदेव के साथ भारत स्वाभिमान ट्रस्ट बनाया जिसके जरिये लाखों लोगों तक स्वदेशी अपनाने का सन्देश पहुंचने में कामयाब रहे। कुछ लोग तो यह भी कहते है कि पतंजलि की सफलता की पटकथा सजीव दीक्षित ने ही रची थी।

मौत की वजह स्पष्ट नहीं

आपको बता दें कि राजीव दीक्षित (Rajiv Dixit) की मौत 29 नवंबर 2010 की रात में भिलाई के अपोलो बीएसआर अस्पताल में हुई थी। दीक्षित 29 नवंबर 2010 को स्वदेशी उत्पादों के प्रचार के लिए दुर्ग जिले के में थे। बेमेतरा में स्वदेशी उत्पादों पर व्याख्यान देने के बाद वह भिलाई आ रहे थे। रास्ते में ही उन्हें बेचैनी होने लगी अनना फानन में उन्हें सेक्टर 9 ले जाया गया। हालत नहीं सुधरने पर उन्हें अपोले बीएसआर अस्पताल (BSR Hospital) रेफर कर दिया गया और देर रात उनकी मौत हो गई थी।

नहीं किया गया था पोस्टमार्टम

मौत के बाद इनके शरीर को विमान से सीधे हरिद्वार भिजवा दिया जाता है। जानकारों के अनुसार पोस्मार्टम से ही मौत की असली वजहों का सही अनुमान लगाया जाता है। राजीव दीक्षित (Swadeshi pracharak Rajiv Dixit) के स्वदेशी प्रचार के चलते कई मल्टीनेशनल कम्पनियों ने उनसे दुश्मनी पाल ली थी। इसके बाद भी पोस्टमार्टम नहीं किया गया। मौत के बाद शव के अंतिम दर्शन करने वाले लोगों का कहना था कि राजीव दीक्षित का चेहरा और होंठ नीले दिखाई पड़ रहे। अमूमन ऐसा तभी होता है जब मौत किसी जहरीले पदार्थ से होती है।

 

Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें और Youtube  पर हमें subscribe करें। एक ही क्लिक में पढ़ें  The Rural Press की सारी खबरें।