रायपुर। राजधानी के श्री गणेश विनायक आई हॉस्पिटल (Shri Ganesh Vinayak Eye Hospital) में अब आंखो के तिरछेपन यानि भेंगापन बीमारी का इलाज संभव है। अस्पताल प्रबंधन ने प्रदेश के कुछ बच्चों का सफलतापूर्वक इलाज कर उन्हें तिरछेपन की समस्या से निजात दिलाने में कामयाबी हासिल की है।

प्रेस कांफ्रेंस में विख्यात नेत्र सर्जन व श्री गणेश विनायक आई हॉस्पिटल (Shri Ganesh Vinayak Eye Hospital) के डायरेक्टर डॉ. चारुदत्त कलमकार (Dr. Charudutt Kalamkar) ने बताया कि जब दोनों आँखें एक साथ मिलकर एक ही लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने में असक्षम हो जाते हैं, तो ऐसे स्थिति को भेंगापन कहते हैं। जिन लोगों को ये समस्याएं होती हैं उनकी आँखें अलग-अलग दिशा में देखते हैं।

साथ ही अलग-अलग वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करते है. स्कॉइन्ट (Squint) जिसे आँखों का तिरछापन या भेंगापन भी कहा जाता है, इससे आँखों की मांसपेशियां आँखों के घुमाव को नियंत्रित करती जिससे उनके संतुलन में कमी आ जाती है। आँखों का तिरछापन बच्चो और बड़ो में दोनों ही में हो सकता है।

इस कारण हो सकता है आँखों का तिरछापन

डॉ. चारुदत्त कलमकार (Dr. Charudutt Kalamkar) ने बताया कि ये बीमारी बच्चों में पैदा होने के साथ हो सकती है। ऐसी स्थिति में बच्चे तिरछेपन के साथ ही पैदा होते हैं। इसके अलावा अनुवांशिक रूप से परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी भी ये बीमारी हो सकती है। मांसपेशियों की कमजोरी भी भेंगापन की वजह हो सकती है, जिसमे आँखों की एक से अधिक मासपेशी ठीक से काम नहीं करती व दिमाग में सूजन भी तिरछेपन के लिए कारणीभूत हो सकता है।

इन्हें मिली भेंगापन से मुक्ति

राजनांदगाव निवासी 20 वर्षीय तरुणा साहू , कोरबा निवासी 18 वर्षीय गिरजा कुमारी व बेमेतरा निवासी 19 वर्षीय संध्या राजपूत जन्म से भेंगेपन का शिकार थी. बीमारी के चलते उन्हें सामाजिक अवहेलना का सामना भी करना पड़ता था। श्री गणेश विनायक आई हॉस्पिटल (Shri Ganesh Vinayak Eye Hospital) ने सफलतापूर्वक ऑपरेशन करके इन बच्चों को भेंगापन के अवसाद से छुटकारा दिलाया है।



Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें और Twitter पर Follow करें 
एक ही क्लिक में पढ़ें The Rural Press की सारी खबरें