रायपुर। पद्मश्री दामोदर गणेश बापट (Padma Shri awardee Damodar Ganesh Bapat) का निधन (Death) हो गया है। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 87 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस लीं। मिली जानकारी के अनुसार दामोदर गणेश बापट को बिलासपुर (Bilaspur) स्थित अपोलो हॉस्पिटल में रात 2:37 बजे भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।

कौन थे  दामोदर गणेश बापट

दामोदर गणेश बापट ने कुष्ठ पीड़ितों (Leprosy patients) के इलाज और उनके सामाजिक-आर्थिक पुनर्वास के लिए उन्होने अपना जीवन समर्पित कर दिया था। गणेश बापट को साल 2018 में पद्मश्री सम्मान (Padma Shri Award) से नवाज गया था। 42 सालों से वे कुष्ठ रोगियों की सेवा कर रहे थे। कुष्ठ रोगियों के लिए अपनी पूरी जिंदगी को समर्पित करने वाले बापट ने असहाय और मरीजों के लिए कात्रेनगर चाम्पा के सोंठी आश्रम का निर्माण किया था, जहां उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। कुष्ठ रोगियों के लिए आजीवन समर्पित रहे गणेश बापट को साल 2018 में पद्मश्री सम्मान आए नवाज गया था। कुष्ठ रोगियों के लिए समर्पित बापट ने अपने देहदान का संकल्प लिया था, उस संकल्प के तहत मेडिकल कॉलेज को उनका देहदान किया जाएगा।

गणेश बापट का जीवन

गणेश बापट के जीवन के शुरूआती दिन काफी संघर्ष और परेशानियों से भरा रहा। उन्होंने एक शिक्षक (Teacher) के तौर पर शुरूआत की और आदिवासी बच्चों (Tribal Children) को पढ़ाने लगे। उन्होंने चांपा से तकरीबन 8 किलोमीटर दूर ग्राम सोठी में भारतीय कुष्ठ निवारक संघ द्वारा संचालित आश्रम में कुष्ठ पीड़ितों की सेवा के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। मिली जानकारी के अनुसार इस आश्रम की स्थापना सन 1962 में कुष्ठ पीड़ित सदाशिवराव गोविंदराव कात्रे (Sadashivrao Govindrao Katre) ने की थी। वहां वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता बापट सन 1972 में पहुंचे और कात्रे के साथ मिलकर उन्होंने कुष्ठ पीड़ितों के इलाज की शुरूआत की।

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