रायपुर। देश की संस्कृति, प्राचीन धरोहर, ग्रंथों के साथ ही अन्य भाषाओँ का उद्गम भी संस्कृत भाषा (Sanskrit language) की देन हैं। देश के अस्तित्व में संस्कृत भाषा (Sanskrit language) की एक अलग पहचान है। संस्कृत के अस्तित्व को लेकर अक्सर चिंता जताई जाती है। लेकिन महज चिंता जाहिर करने से संस्कृत भाषा (Sanskrit language) के अस्तित्व को बचाया नहीं जा सकता। संस्कृत के अस्तित्व को बचाने समाज के हर तबके को जागरूक होना होगा। इस दिशा में सरकार (Government) को महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे।
इसी बीच एक बड़ा सवाल ये भी उठता है कि आखिर क्यों समाज (society) का अधिकांश वर्ग संस्कृत भाषा से दूर होते जा रहा है? क्यों हमारी भावी पीढ़ी संस्कृत भाषा (Sanskrit language) से घबराने लगी है? क्या अभिभावक बच्चों को सिर्फ डॉक्टर या इंजीनियर ही बनाना चाहते हैं? क्या संस्कृत का कोई भविष्य नहीं हैं?
कुछ ऐसे ही सवालों ने संस्कृत के अस्तित्व पर संदेह खड़ा कर दिया है। स्कूल (school) हो या फिर कॉलेज छात्र संस्कृत की बजाय अन्य विषयों में रुचि ले रहे हैं। वहीँ प्रदेश में ऐसे भी हजारों-लाखों छात्र हैं, जिन्होंने संस्कृत (Sanskrit) की पढाई कर डिग्री तो ले ली लेकिन रोजगार के नाम पर खुद को छला हुआ महसूस कर रहे हैं। द रूरल प्रेस की टीम ने संस्कृत के अस्तित्व से जुड़े सवालों को लेकर समाज के बुध्दिजीवियों से बातचीत की, तो उन्होंने भी माना कि संस्कृत का अस्तित्व खतरे में है और इसे बचाने समाज के हर तबके को कदम उठाना होगा।
संस्कृत में 2200 धातुएं जिनसे बनने वाले शब्दों की संख्या है डेढ़ करोड़
मशहूर कवियित्री उर्मिला उर्मि (Urmila Urmi) का कहना है कि संस्कृत भाषा (Sanskrit language) से सुन्दर कोई भाषा नहीं हैं। संस्कृत में 2200 धातुएं हैं, जिनसे बनने वाले शब्दों की संख्या डेढ़ करोड़ तक है। जबकि अंग्रेजी के शब्द भंडार में केवल डेढ़ लाख शब्द बताए जाते हैं।
ऐसी संस्कृत भाषा (Sanskrit language) को मृत भाषा मान लेना या केवल कर्मकांड की भाषा मान लेना नासमझी के अलावा कुछ नहीं। कर्मकांड ,पूजन पद्धति तो संस्कृत के विपुल ज्ञान भंडार का केवल चार या पांच प्रतिशत ही है। संस्कृत में रोजगार परक पाठ्यक्रम आरंभ किए जाने की आवश्यकता है। तब इसकी स्वीकार्यता अपने आप बढ़ती जाएगी।
कंप्यूटर प्रोगरामिंग में होगा संस्कृत भाषा का प्रयोग
भाजपा मीडिया पैनलिस्ट उमेश घोरमोड़े का कहना है कि पूरे विश्व में संस्कृत भाषा (Sanskrit language) को लेकर रिसर्च चल रहा है। आने वाले समय में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में संस्कृत भाषा (Sanskrit language) का ही प्रयोग किया जायेगा।
संस्कृत का महत्व पुराणों में हैं और यह दुनिया की सर्वश्रेष्ठ और सरल भाषा है। सरकार को संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने की दिशा में विशेष ध्यान देना चाहिए। ताकि आने वाली भावी पीढ़ी अपनी प्राचीन भाषा के महत्व और विशेषता को समझ सके।
संस्कृत भाषा की बजाय अंग्रेजी में बढ़ रहा रुझान
कांग्रेस नेता धनजय ठाकुर का कहना है कि संस्कृत भाषा (Sanskrit language) से ही अन्य भाषा का उद्गम हुआ है। आधुनिक संचार क्रांति के दौर में बच्चों का रुझान अंग्रेजी भाषा की ओर बढ़ता जा रहा हैं।
ऐसे में स्कूल प्रबंधन को ध्यान देना होगा कि वे छात्रों को संस्कृत भाषा (Sanskrit language) के महत्व को बताएं। साथ ही संस्कृत की पढाई पर फोकस कराएं। शिक्षा का मतलब लाभ लेना नहीं लाभ देना होना चाहिए।