इवेंट, फैशन शो, डांस, ड्रामा, सिलाई-बुनाई और इवेंट कराने वाली कंपनी निखारेगी छत्तीसगढ़ की तस्वीर
जिनकी तस्वीर ही धुंधली है, अब वे कंपनियां सोशल मीडिया में चमकाएंगी छत्तीसगढ़ सरकार का चेहरा
अंतर्राष्ट्रीय ख्याती प्राप्त कंपनियां संवाद के इंपैनेलमेंट रेस से बाहर
भाग 1 में भी हुआ था विवाद, कंपनियों की आपत्ति के बाद जनसंपर्क ने किया भूल सुधार
रायपुर। ऐसी कंपनियां जिनकी सोशल मीडिया (Social Media) में तस्वीर ही धुंधली है अब वे छत्तीसगढ़ सरकार का चेहरा सोशल मीडिया में चमकाएंगी। जी हां ऐसी कंपनियां जो सोशल मीडिया में मौजूद नहीं हैं या नाम के लिए हैं ऐसी कंपनियां को छत्तीसगढ़ सरकार ने सोशल मीडिया संभालने की जिम्मेदारी दी है। हैरत की बात है मगर यही सच है।

हाल ही में छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग (Chhattisgarh Directorate of Public Relations) द्वारा संवाद में इंपैनेलमेंट हेतु कौशल परीक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें करीब 38 कंपनियों ने हिस्सा लिया। जिनमें मात्र 5 कंपनियों को ही इंपैनेलमेंट के लिए चुना गया।
चुनी गई कंपनियों में से कुछ कंपनियां ऐसी हैं जिनका सोशल मीडिया में कोई अता-पता ही नहीं है। हैरत की बात यह है कि एक कंपनी ऐसी भी है जो महज इवेंट का काम देख रही है। इससे पहले बुटिक का संचालन भी इस कंपनी के ओनर द्वारा किया जाता था। अब यह कंपनी संवाद से इंपैनल्ड होने जा रही है। जबकि वर्तमान में इस कंपनी के फेसबुक प्रोफाइल में महज 52 लोग ही पसंद करते हैं। ट्विटर में कंपनी के नाम से कोई हैंडल ही नहीं बना है।
बाहर से आई टीम
इस संदर्भ में जनसंपर्क विभाग के अधिकारी कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती गई है। परीक्षा के लिए बाहर से टीम बुलाई गई थी जिनके मार्गदर्शन पर ही परीक्षा संपन्न हुई है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि ऐसी कौन सी टीम है जिन्हें यह जानकारी नहीं है कि चयन प्रक्रिया में शामिल कंपनियों की सोशल मीडिया प्रोफाइल की भी जानकारी लेनी चाहिए। जनसंपर्क विभाग द्वारा कंपनी के प्रेजेंटेशन के दौरान कंपनी ने अपने पोर्टफोलियों में क्या दिखाया होगा? यह भी अपने आप में बड़ा सवाल है जिसके आधार पर इन कंपनियों को जनसंपर्क ने इंपैनेलमेंट के लिए चुना है।
भाग 1 में भी हो चुका है विवाद
इससे पहले भाग 1 के लिए हुए इंपैनेलमेंट को लेकर भी जनसंपर्क विभाग के कार्यशैली पर सवाल उठ चुके हैं। संवाद ने ऐसी कंपनी को चुना जिसने 7700 रुपए प्रति विभाग का रेट भरा था। यह दर कलेक्टर दर से काफी कम था। जिसके बाद अन्य कंपनियों ने दर को लेकर कड़ी आपत्ति जताई। जिसके बाद आनन-फानन में संवाद ने 21 कंपनियों को इस प्रकिया के तहत इंपैनेलमेंट हेतु चुना। कंपनियों ने तो पूरी चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए आवेदन लिखकर दे दिया था कि इतने कम दर पर कार्य संभव ही नहीं है। इससे पूर्व सरकार इसी काम के लिए 2.5 लाख रुपए देती थी।
इन कंपनियों का हुआ चयन
- एम/एस क्वांटम वर्टो
- एम/एस एसबी मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड
- एम/एस श्रीराम एडवरटाइसिंग एंड मार्केटिंग
- एम/एस माहेश्वरी पब्लीसिटी सर्विस
- एम/एस स्वाती मैनेजमेंट
क्या है सोशल मीडिया में प्रेजेंस
एम/एस क्वांटम वर्टो कंपनी
ट्विटर में नहीं है। वहीं फेसबुक में इसका पेज 23 जनवरी 2019 को बनाया गया है। इस पेज पिछले 8 माह में मात्र 9 लाईक्स मिले है। इतना ही नहीं यह पेज सोशल मीडिया में एक्टिव भी नहीं है।
एम/एस श्रीराम एडवरटाइसिंग एंड मार्केटिंग
फेसबुक में इस कंपनी का पेज 30 मार्च 2013 से एक्टिव है। मगर 6 सालों में अभीतक कंपनी ने केवल 2762 फॉलोवर्स और 2749 लाइक्स ही जुटा पाई है। वेबसाइट है मगर वह भी अधूरी इतना ही नहीं कंपनी की वेबसाइट में ट्विटर, लिंक्डइन प्रोफाइल के टैब हैं मगर वह दिखावे के लिए हैं।
एम/एस माहेश्वरी पब्लीसिटी सर्विस
यह कंपनी फेसबुक पर 2011 से एक्टिव है। मगर 8 सालों में 1057 फॉलोवर्स व 1063 लाइक्स अपने पेज के लिए जुटा सकी है। ट्विटर पर कंपनी के नाम से कोई हैंडल नहीं है।
एम/एस स्वाती मैनेजमेंट
इस कंपनी की प्रोफाल अन्य कंपनियों से हटकर है। फेसबुक पेज में पूरी जानकारी नहीं है। जनवरी 2018 में यह पेज बनाया गया है। कंपनी खुद को आउट सोर्स सर्विस प्रोवाइडर बता रही है। इवेंट, फैशन शो, डांस, ड्रामा आदि गतिविधियां इस कंपनी द्वारा संचालित की जाती है। इतना ही नहीं फेसबुक पेज को महज 52 लोग ही पसंद करते हैं। ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया से यह कंपनी पूरी तरह से गायब है।
एम/एस एसबी मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड
हालांकि छत्तीसगढ़ में एसबी मल्टीमीडिया काफी पुराना नाम है। मगर हैरत की बात यह है कि इसकी पार्टनर कंपनी आईशेयर के नाम से डिजिटल मीडिया का काम संभालती है। मगर जब इस कंपनी के वेबसाइट पर विजिट किया तो पोर्टल खुला ही नहीं। यह कंपनी डिजिटल मार्केटिंग के लिए बनाई गई थी। जो बाद में चल नहीं सकी और इसे बंद कर दिया गया। हालांकि इस ग्रुप का समाचार चैनल है जिनकी अलग ही धाक है।
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कंपनियां बाहर
जनसंपर्क विभाग द्वारा सरकार के सोशल मीडिया अकाउंट के लिए इन 5 कंपनियों का चयन किस आधार पर किया गया यह समझ से परे है। कई कंपनियां सोशल मीडिया में एक्टिव नहीं हैं तो कुछ के फॉलोवर्स महज नाम के लिए हैं। ऐसे में सवाल है कि कैसे ये कंपनियां सरकारी की तस्वीर को संवारेगी। जब उनकी खुद की तस्वीर सोशल मीडिया में धुंधली है। वहीं इन कंपनियों में ही संवाद द्वारा खास रूची दिखाते हुए Shemaroo Entertainment, SPAN Communication, Four Square, AdParayas, Unfolding जैसी कुछ कंपनियां जिनके लाखों और करोड़ों में फॉलोवर्स हैं उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इतना ही नहीं इन कंपनियों को डीएव्हीपी और एनएफडीसी से मान्यता प्राप्त हैं। ये कंपनियां केंद्र सरकार व अन्य राज्यों की सरकार के लिए काम भी कर रही हैं। क्या छत्तीसगढ़ सरकार के लिए यह काफी नहीं था.. या यूं कहें कि सरकार ने इन पांच कंपनियों पर मेहरबानी की है।
कुछ समय पहले मध्यप्रदेश के जनसंपर्क विभाग में भी शासन ने सोशल मीडिया के लिए टेंडर निकाला था। छत्तीसगढ़ शासन की ही तरह मध्यप्रदेश में भी इसी तरह का किस्सा दोहराया गया। बाद में सभी कंपनियों की आपत्ति की बाद यह पूरी टेंडर प्रक्रिया निरस्त कर दी गई।