रायपुर। प्रदेश कांग्रेस चुनाव समिति (Pradesh Congress Election Committee) की बैठक राजीव भवन (Rajiv Bhawan) में शुरू हो चुकी है। बैठक में प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया (State Congress in-charge PL Punia) और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chiefminister Bhupesh Baghel) के साथ ही साथ प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम (State Congress President Mohan Markam) मौजूद हैं। इसमें दंतेवाड़ा उप चुनाव में प्रत्याशी के चयन पर विचार किया जाएगा। इसी विषय पर यहां चर्चा होनी है। इसके लिए संभावित प्रत्याशियों की लिस्ट भी मुख्यमंत्री और प्रदेश  अध्यक्ष के पास मौजूद है। थोड़ी ही देर में इस पर फैसला आ जाएगा कि दंतेवाड़ा से कांग्रेस का विधानसभा उम्मीदवार (Congress candidate from Dantewada) कौन होगा?

कांग्रेस में काम के आधार पर प्राथमिकता:

पीएल पुनिया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम (State Congress President Mohan Markam) ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि इस बार जिस किसी को भी टिकट दिया जाएगा वो उसके काम के बल पर मिलेगा। ऐसे में देखना यही होगा कि क्या कांग्रेस पार्टी दंतेवाड़ा से अपनी पुरानी प्रत्याशी (Devati karma)  को मैदान में उतारेगी या फिर कोई बदलाव किया जाएगा। इसी बात को लेकर आज सुबह से ही राजीव भवन में चर्चाओं का दौर जारी है। लोग तरह-तरह के कयास लगाने में लगे हुए हैं।

भाजपा उतारेगी ओजस्वी मंडावी को:

भाजपा वहां नक्सल हमले में मारे गए भीमा मंडावी की पत्नी ओजस्वी मंडावी को उम्मीदवार बनाएगी। तो ऐसे में कांग्रेस के सामने भी बाध्यता यही होगी कि वो भी किसी ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार बनाए जो उसी के समाज परिस्थितियों से गुजरी हो। ऐसे में इशारा तो साफ-साफ देवती कर्मा की ओर ही जा रहा है। अब ऐसे में देखना यही होगा कि क्या इस बार फिर कांग्रेस पार्टी देवती कर्मा को मौका देती है? यहां ये भी बताना जरूरी होगा कि देवती कर्मा के पति महेंद्र कर्मा झीरम घाटी (Jheeram valley) हमले में नक्सलियों की हिंसा में मारे गए थे। यही नहीं नक्सलियों ने उनके साथ बर्बरता भी की थी।

बस्तर टाइगर के बलिदान को याद करेगी कांग्रेस:

देवती कर्मा भी नक्सलवाद की शिकार हैं। उनके पति बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा नक्सली हिंसा में मारे गए। ऐसे में कांग्रेस पार्टी उनको प्राथमिकता दे सकती है। इसके पीछे कारण यह होगा कि कांग्रेस पार्टी अपने पूर्व नेता महेंद्र कर्मा के बलिदान को नकारेगी नहीं। वहीं दूसरे भी कार्यकर्ता हैं जो पार्टी के लिए पूरी ईमानदारी से कार्य करते आ रहे हैं। ऐसे में अगर उनको टिकट नहीं मिलता तो वे बगावत कर सकते हैं। इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है।

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