ठाणे। शुक्रवार को छत्तीसगढ में जिस तरह ‘‘पोला’’ तिहार मनाया गया। उसी तरह महाराष्ट्र के ठाणे में कुम्हार समुदाय(Potters community) के लोग गधों (Donkey) को नहलाकर उनको रंग-बिरंगे फूलों से सजाया (Decorated with colorful flowers)। उनको अच्छे-अच्छे पकवान खिलाए, उनकी पूजा की। हुजूर आप हंसिए बिल्कुल भी मत…. इन लोगों ने भी कल ‘‘गधा पोला’’ (“Donkey Pola”) मनाया। ठीक उसी तरह जिस तरह पोला त्यौहार मनाया जाता है। महाराष्ट्र में ‘‘गधा पोला’’(“Donkey Pola”) काफी दिनों से 30 अगस्त को मनाया जाता है।

क्यों कुम्हार समुदाय के लोग करते हैं ऐसा:

जैसे किसान अपने बैलों की पूजा करते हैं, ठीक उसी तरह भोई और कुम्हार समुदाय (Potters community) के लोग गधों (Donkey) का आभार और सम्मान प्रकट करने के लिए इस दिन उनकी पूजा कर ‘‘गधा पोला’’ (“Donkey Pola”) मनाते हैं। समुदाय के विष्णु छोड़े ने कहा कि भार ढोने के अलावा बरसात में सड़क खराब होने पर   खेती के लिए खाद ढोने में अधिक उपयोगी हैं। इस मौके पर गधों (Donkey) को नहला कर उन्हें फूलों से सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। उन्होंने दुख जताया कि धीरे-धीरे यह परंपरा खत्म हो रही है क्योंकि युवा दूसरे पेशों को अपना रहे हैं।

कम खर्च और देखभाल के बावजूद बेहतर काम:

गधा (Donkey) एक ऐसा पशु है जिसको अन्य जानवरों की तुलना में ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती। वहीं यह अपनी क्षमता से ज्यादा भार वहन करता है। इसके अलावा इसके पालन-पोषण पर भी खर्च काफी कम आता है। इसी लिए आज भी इन अंचलों में गधे काफी ज्यादा तादाद में पाए जाते हैं।

कुम्हारों की मिट्टी ढोने में आते हैं काम:

ठाणे के कुम्हार समुदाय (Potters community) के लोग मिट्टी ढोने और अन्य कार्यों के लिए गधों का उपयोग करते हैं। ऐसे में गधे ही इनको बढ़ते किराए की मार से बचाते हैं। तो वहीं इनकी प्रोडक्ट की कास्टिंग को कम भी करते हैं। ऐसे में गधों को यहां के लोग पालते हैं।

गणपति पूजा में आएगा जापानी दल:

ठाणे में होने वाली गणेश पूजा को देखने के लिए जापानी लोगों का एक दल आएगा। वह यहां रुक कर गणेश पूजा को लेकर अध्ययन करेगा।

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