नई दिल्ली। इसरो (ISRO) के कंट्रोल रूम से रात लैंडर विक्रम (Lander vikram) का संपर्क कटने के बाद वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाकर बाहर निकले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) शनिवार सुबह इसरो सेंटर पहुंचे और वैज्ञानिकों से मुलाकात की। जब वे मुख्यालय से निकलने लगे तो इसरो प्रमुख के. सिवन (ISRO chief K. Sivan) भावुक हो गए और रोने लगे। यह देख मोदी ने फौरन उन्हें गले लगा लिया। करीब 26 सेकंड तक मोदी उनकी पीठ थपथपाते रहे। इससे पहले प्रधानमंत्री ने कहा, “भले ही आज रुकावटें हाथ लगी हों, लेकिन इससे हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा, बल्कि और बढ़ा है। भले ही हमारे रास्ते में आखिरी कदम पर रुकावट आई हो, लेकिन हम मंजिल से डिगे नहीं है। अगर किसी कला-साहित्य के व्यक्ति को इसके बारे में लिखना होगा, तो वे कहेंगे कि चंद्रयान चंद्रमा को गले लगाने के लिए दौड़ पड़ा(Chandrayaan ran to hug the moon)। आज चंद्रमा को आगोश में लेने की इच्छाशक्ति और मजबूत हुई है।”

Priceless moments at the ISRO Centre in Bengaluru. PM Modi and ISRO Chairman Dr. K. Sivan got emotional. @isro pic.twitter.com/sijq65cTt6
— Marya Shakil (@maryashakil) September 7, 2019
सोशल मीडिया पर वॉयरल हुआ वीडियो:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इसरो प्रमुख के सिवन को गले लगाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वॉयरल हो गया। इसको पूरी दुनिया से सराहना मिल रही है। ज्यादातर लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक अभिभावक वाले रूप की खूब तारीफ कर रहे हैं।
मुश्किल से सफल हुए विकिसत देश :
भले ही चांद पर मानव के पहुंचने के 50 साल हो गए हों लेकिन तमाम विकसित देशों के लिए भी चांद को छूना आसान नहीं रहा है। रूस ने 1958 से 1976 के बीच करीब 33 मिशन चांद की तरफ रवाना किए, इनमें से 26 अपनी मंजिल नहीं पा सके। वहीं अमेरिका भी इस होड़ में पीछे नहीं था। 1958 से 1972 तक अमेरिका के 31 मिशनों में से 17 नाकाम रहे।
यही नहीं अमेरिका ने 1969 से 1972 के बीच 6 मानव मिशन भी भेजे। इन मिशनों में 24 अंतरिक्ष यात्री चांद के करीब पहुंच गए लेकिन सिर्फ 12 ही चांद की जमीन पर उतर पाए। इसके अलावा इसी साल अप्रैल में इजरायल का भी मिशन चांद अधूरा रह गया था। इजरायल की एक प्राइवेट कंपनी का ये मिशन 4 अप्रैल को चंद्रमा की कक्षा में तो आ गया लेकिन 10 किलोमीटर दूर रहते ही पृथ्वी से इसका संपर्क टूट गया।
उम्मीद की किरण बना आर्बिटर :
बेशक भारत के वैज्ञानिकों ने चांद के अनजाने हिस्से तक पहुंचने, कई महत्वपूर्ण जानकारियों की जुटाने की बड़ी चुनौती की तरफ अपने कदम बढ़ाए थे। चंद्रयान-2 को मंजिल के करीब ले जाने वाला आॅर्बिटर अब भी चंद्रमा की कक्षा में घूम रहा है। अब वैज्ञानिकों को इंतजार है कि आंकड़ों से निकलने वाले नतीजों का और आर्बिटर से मिलने वाली तस्वीरों का, जिससे आखिरी 15 मिनट का वैज्ञानिक विश्लेषण मुमकिन हो सके।
लैंडर विक्रम के साथ संपर्क टूटने की वजहों का अध्ययन विश्लेषण किया जाएगा। जिन चुनौतियों की वजह से इस मिशन को अब तक का सबसे कठिन मिशन माना जा रहा था। उससे निपटने के नए तरीके भी ढूंढे जाएंगे। इस लिहाज से चंद्रयान-2 का अभियान इस बेहद मुश्किल लक्ष्य की तरफ बढ़ने के लिए वैज्ञानिकों के अनुभव को और समृद्ध करने वाला साबित होगा।
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