रायपुर। छत्तीसगढ़ के पारम्परिक व्यंजन और संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रारम्भ की गयी गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) योजना अधिकारियो के कमीशनखोरी के मोह की भेंट चढ़ता रहा है। सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना में हद तो तब हो गयी जब विभागीय अधिकारियों ने पारम्परिक व्यंजन से भूख मिटाने की बजाय कमीशनखोरी से भूंख मिटाने की ठान ली। अजीब विडंबना है कि पिछले 3 सालों में संस्कृति विभाग (Culture department) के किसी भी अधिकारी ने गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) से सरकार के राजस्व (Revenue) में बढ़ोत्तरी के प्रति योगदान की कोई सुध नहीं ली। कमीशनखोरी से जेब भरने की लालच ने सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचाने के अलावा कोई काम नहीं किया।

हैरानी और चौकाने वाली बात यह है कि महंत घासीदास संग्रहालय परिसर में स्थित गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) के संचालन का जिम्मा पिछले 3 सालों से मोनिषा महिला स्व सहायता समूह के हाथों में है। अधिकारियों की सांठ-गांठ के चलते मोनिषा महिला स्व सहायता समूह के अलावा किसी अन्य संस्था को गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) के बेहतर क्रियान्वन की जिम्मेदारी नहीं सौंपी गयी।

गढ़ कलेवा करोड़पति, आइये आंकड़ों से समझते हैं

गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) के ही स्टाफ सूत्रों की मानें तो यहां प्रतिदिन (सोमवार से शुक्रवार) को 20 से 25 हजार रुपए का बिजनेस होता है। वहीँ शनिवार और रविवार को यह बिजनेस बढ़कर करीब 40 हजार तक के आंकड़ों को आसानी से छू लेता है। ऐसी स्थिति में यदि प्रति सप्ताह गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) के औसत बिजनेस की बात करें तो आंकड़ों के आंकलन के मुताबिक यहां हफ्ते में 2,25,000 रुपये का बिजनेस होता है। इसके अलावा गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) में सेपरेट कैटरिंग से प्रति सप्ताह औसत 60 हजार की इन्कम होती है। इस हिसाब से गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) ने ओवरआल प्रति सप्ताह करीब 2,85,000 रुपये का बिजनेस होता है।

 

करोड़ों का टर्नओवर
करोड़ों का टर्नओवर

अब जब एक हफ्ते में यहां लाखों का बिजनेस होता है तो सोचिये कि साल भर के 52 हफ़्तों में औसत बिजनेस कितना होगा। 1 साल के 52 हफ़्तों में औसत बिजनेस की तुलना करें तो यह आंकड़ा चौंकाने वाला करीब 14,8,20,000 (एक करोड़ अड़तालीस लाख 20 हजार रुपए) का होता है। यानि गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) का प्रतिवर्ष टर्नओवर करीब 1,48,20,000 रुपये का है। इस हिसाब से पिछले 3 सालों में करीब 44,460,000 (चार करोड़ चौवालीस लाख साठ हजार) करोड़ रुपए का बिजनेस गढ़कलेवा से संभव है।

सरकारी बिजली और पानी का फायदा

महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय की बिजली से तीन साल से गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) रोशन हो रहा है, इतना ही नहीं संग्रहालय के लिए उपयोगी पानी को मुफ्त में ही गढ़कलेवा को दिया जा रहा है। पिछले 3 सालों से संग्रहालय की बिजली को चपत पहुँचाने के बाद हाल ही में महिला स्व सहायता समूह द्वारा बिजली बिल का भुगतान शुरू किया गया है।

कैश भुगतान लेकिन बिल और कार्ड पेमेंट की सुविधा नहीं

गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) में हर दिन होने वाली बिक्री के बदले उपभोक्ताओं (Consumers) को ना तो बिल दिया जाता है और नाही कार्ड से पेमेंट करने की कोई सुविधा उपलब्ध है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) में उपभोक्ताओं (Consumers) को चपत लगाई जा रही है।

3 साल में सिर्फ 2 बार संचालन समिति की बैठक

संस्कृति विभाग (Culture department) के तत्कालीन संचालक ने संचालन समिति में तीन विभागीय और तीन अशासकीय व्यक्तियों को रखने के निर्देश दिए थे। लेकिन विभागीय अधिकारियों ने सिर्फ 5 सदस्यों की टीम बनाई। संचालन समिति में विभाग के उप संचालक राहुल सिंह, संग्रहालयाध्यक्ष प्रताप पारख ,सीमा चंद्राकर, उचित शर्मा, वैभव पांडेय को शामिल किया गया था। संचालन समिति का गठन इसलिए किया गया था, ताकि गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) का बेहतर संचालन और क्रियान्वन हो सके। लेकिन विडंबना की बात है कि पिछले 3 सालों में महज 2 बार ही संचालन समिति की बैठक आहूत की गयी। संग्रहालयाध्यक्ष के मनमाने रवैय्ये के विरोध में समिति के सदस्यों में जमकर आक्रोश व्याप्त है।

सरकार को मिल सकेगा बेहतर राजस्व

पिछले 3 सालों से कमीशनखोरी के मोह के चलते एक ही संस्था को गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) के संचालन की जिम्मेदारी देकर सरकार के राजस्व को लाखों-करोड़ों का नुकसान पहुंचाया गया है। अगर हर वर्ष टेंडर प्रक्रिया के तहत अलग-अलग संस्थाओं को गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) की जिम्मेदारी मिलती तो सरकार के खजाने को लाभ पहुंचाने में विभाग का महत्वपूर्ण योगदान होता। लेकिन अपनी जेब भरने की लालच में अधिकारियों ने सरकार के राजस्व की सुध ही नहीं रही। हालांकि गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) में भारी अनियमितताओं और शिकायतों के बाद अब टेंडर प्रक्रिया शुरू की गयी है।

अधिकारी हो रहे मालामाल, कमीशनखोरी चरम पर

सदस्य उचित शर्मा
सदस्य उचित शर्मा

संचालन समिति के सदस्य उचित शर्मा (Uchit Sharma) का कहना है कि गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) के संचालन में कमीशनखोरी का बोलबाला रहा है। विभाग के अधिकारी कमीशनखोरी कर मालामाल होते गए और सरकार के खजाने को कंगाल करते गए। उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) के संचालन में अनियमितताओं की शिकायत तत्कालीन संचालक से भी की थी। उनका आरोप है कि ना तो समय पर संचालन समिति की बैठक होती है और नाही समिति की मीटिंग में सदस्यों को बुलाया जाता है। सदस्य उचित शर्मा (Uchit Sharma) ने कहा कि विभाग में भ्रष्टाचार इस कदर बढ़ गया है कि किसी भी मामले की शिकायत को नजर अंदाज कर उसे महज कागज समझकर कचड़े में फेंक दिया जाता है।

संचालन समिति के सदस्य की लिखित शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं

 वैभव पांडेय
वैभव पांडेय

संचालन समिति के सदस्य रहे (Vaibhav Pandey) का कहना है कि गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) में व्याप्त भारी अनियमितताओं को लेकर उनके द्वारा कई बार लिखित शिकायत की गयी, लेकिन विभाग की ओर से कभी कोई कार्यवाही नहीं की गयी। विभाग की मनमानी से नाराज होकर उन्होंने संचालन समिति से 6 माह में ही इस्तीफ़ा दे दिया।

मैं नहीं हूँ अधिकृत

 

संग्रहालयाध्यक्ष प्रशांत पारख
संग्रहालयाध्यक्ष प्रशांत पारख

गढ़ कलेवा (Gadh kalewa) में व्याप्त अनियमितताओं को लेकर जब संग्रहालयाध्यक्ष प्रताप पारख से सवाल किया गया तो उन्होंने अधिकृत व्यक्ति ना होकर जवाब देने से पल्ला झाड़ लिया। जबकि नियमतः गढ़कलेवा (Gadhkalewa) की जिम्मेदारी संग्रहालयाध्यक्ष की ही होती है। इस जिम्मेदारी से प्रशांत पारख बचते नजर आये। जानकारी के मुताबिक के खुद के ट्रेवल्स की गाड़ियां विभाग में चलती है।

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