रायपुर। नगरीय क्षेत्रों में एसटी, एससी, ओबीसी जाति प्रमाण पत्र (Caste Certificate) और मूल निवासी प्रमाण (Native Certificate) पत्र बनाने के संबंध में नया फरमान जारी हुआ है। जिसके तहत अब नगर पंचायत, नगरपालिका परिषद अथवा नगर निगम की सामान्य सभा द्वारा की गई उद्घोषणा को भी साक्ष्य माना जाएगा। उसके आधार पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे।

दरअसल राज्य (Chhattisgarh) में रहने वाले बहुत से आवेदकों के विभिन्न शैक्षणिक एवं राजस्व अभिलेखों में अधिसूचित वास्तविक जाति के स्थान पर धर्म का नाम अंकित है। पूर्व के अभिलेखों में उनकी जाति स्पष्ट रूप से अंकित नहीं होने के कारण तथा राज्य में छोटे-छोटे ग्राम नगर पंचायतों में परिवर्तिन से लोगों को जाति प्रमाण पत्र बनवाने में कठिनाई हो रही है। राज्य सरकार ने इन सभी मामलों के निराकरण हेतु मंत्रालय में सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी कलेक्टरों एवं नगरीय निकायों को पत्र जारी किया है। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि जहां जाति को प्रमाणित करने के लिए कोई दस्तावेजी साक्ष्य उपलब्ध न हो वहां ग्राम सभा द्वारा आवेदक की जाति के संबंध में पारित संकल्प मान्य होगा।

दरअसल 14 दिसंबर 2015 को छत्तीसगढ़ सरकार ने जारी किया था एक पत्र

“छत्तीसगढ़ में छोटे छोटे ग्राम नगर पंचायतों में परिवर्तित हो गए हैं, जाति प्रमाण पत्र के मसले पर पूर्व से यह व्यवस्था रही है कि, जिनकी जाति को लेकर कोई दस्तावेज़ी साक्ष्य उपलब्ध ना हों वहाँ ग्राम सभा द्वारा आवेदक की जाति के संबंध में पारित संकल्प साक्ष्य माना जाएगा।अब चुंकि ग्राम पंचायत नगर पंचायत में परिवर्तित हुए हैं इसलिये नगर पंचायत/ नगर पालिका परिषद के पारित संकल्प भी साक्ष्य माने जाएँगे”

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