रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के मंत्री रामविलास पासवान (Minister of Food and Public Distribution Department Ram Vilas Paswan) को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में किसानों के हित में छत्तीसगढ़ से 32 लाख मीट्रिक टन चावल के उपार्जन की अनुमति प्रदान करने का आग्रह किया है।

खरीफ वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा कानून के तहत भारतीय खाद्य निगम को सेंट्रल पूल के अंतर्गत छत्तीसगढ़ से 32 लाख मीट्रिक टन चावल के उपार्जन की अनुमति हेतु सीएम ने पत्र लिखा है। पिछले वर्ष भारतीय खाद्य निगम को छत्तीसगढ़ से 24 लाख मीट्रिक टन चावल के उपार्जन की अनुमति दी गई थी।

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि

प्रदेश में खरीफ वर्ष 2019-20 में समर्थन मूल्य पर 85 लाख मीट्रिक टन धान का उपार्जन होना अनुमानित है, जिससे निर्मित होेने वाले कस्टम मिलिंग चावल 57.37 लाख मीट्रिक टन में से राज्य के द्वारा पीडीएस की आवश्यकता हेतु 25.40 लाख मीट्रिक टन चावल उपार्जन किया जाएगा (सेंट्रल 15.48 लाख मीट्रिक टन, स्टेट पूल 9.92 लाख मीट्रिक टन) एवं सरप्लस चावल लगभग 32 लाख मीट्रिक टन एफसीआई को सेंट्रल पूल अंतर्गत उपलब्ध कराया जा सकेगा।

बघेल ने खाद्य मंत्री से एफसीआई में चावल उपार्जन की मात्रा गत वर्ष भारत सरकार द्वारा स्वीकृत मात्रा 24 लाख मीट्रिक टन की उसना चावल को बढ़ाकर 28 लाख मीट्रिक टन उसना चावल करने और 4 लाख मीट्रिक टन अरवा चावल करने का (प्रदेश में दो तिहाई राईस मिल अरवा किस्म की होने के कारण) अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में आगामी खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में किसानों से समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन करने के लिए आवश्यक तैयारी आंरभ की जा चुकी है। इसके लिए किसानों के पंजीयन का कार्य किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने भारत सरकार को 5 जुलाई 2019 को भेजे गए पत्र के माध्यम से खरीफ वर्ष 2019-20 में प्रदेश के किसानों के हित में समर्थन मूल्य को बढ़ाकर 2500 रुपए प्रति क्विंटल किए जाने का निवेदन किया था एवं यदि किसी परिस्थिति के कारण भारत सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य में इस अनुरूप वृद्धि किया जाना संभव नहीं हो तो राज्य सरकार को इस मूल्य पर धान उपार्जित करने की सहमति विकेन्द्रीकृत खाद्यान्न उपार्जन योजना के अंतर्गत दिए जाने का अनुरोध किया गया था। साथ ही राज्य के किसानों के व्यापक आर्थिक हित को देखते हुए एम.ओ.यू. की कंडिका 1 की शर्त से शिथिलता प्रदान करते हुए राज्य के सार्वजनिक वितरण की आवश्यकता के अतिरिक्त उपार्जित होने वाले चावल (अरवा एवं उसना) को केन्द्रीय पूल में मान्य करने का निर्देश संबंधितों को प्रसारित का अनुरोध किया गया था।

इसी परिपेक्ष्य में यह बात भी ध्यान में लाया गया कि छत्तीसगढ़ के द्वारा पूर्व वर्षों में भी प्रत्येक खरीफ सीजन में एफसीआई को सरप्लस चावल सेंट्रल पूल में अंतरित किया जाता रहा है। इससे जहां एक ओर प्रदेश के सभी क्षेत्रों विशेषकर दूरस्थ (रिमोट) क्षेत्रों में भी रहने वाले किसानों से धान का समर्थन मूल्य पर उपार्जन संभव हो सका है, वहीं दूसरी ओर उपार्जित धान का कस्टम मिलिंग के माध्यम से निराकरण कर चावल एफसीआई द्वारा उपार्जन किए जाने से एनएफएसए के लिए आवश्यक चावल की पूर्ति में राज्य की महत्वपूर्ण सहभागिता रही है। छत्तीसगढ़ गत खरीफ वर्षों की तरह खरीफ वर्ष 2019-20 में भी एनएफएसए के लिए एफसीआई को सेंट्रल पूल अंतर्गत चावल प्रदान करने का इच्छुक है।

मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री से इस विषय को सहानुभूतिपूर्वक विशेष मामले के रूप में लेते हुए किसानों के हित और एनएफएसए के अंतर्गत चावल की आवश्यकता की पूर्ति हेतु खरीफ वर्ष 2019-20 में एफसीआई में 32 लाख मीट्रिक टन चावल उपार्जन किए जाने की अनुमति प्रदान करने और आवश्यक दिशा-निर्देश संबंधितों को प्रसारित करने का आग्रह किया है।

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