रायपुर। राजधानी में डीजे की तेज आवाज की वजह से हुई दो लोगों की मौत से स्पष्ट है कि प्रदेश में हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। साथ ही महापौर प्रमोद दुबे द्वारा मौत पर अफसोस जताने से यह भी साबित होता है कि वे इस कानफोड़ू और जानलेवा डीजे के प्रति कितनें गंभीर हैं। जबकि छत्तीसगढ़ में डीजे का साउंड नापने के लिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद 6 करोड़ की मशीन प्रदेश के प्रत्येक जिले के लिए खरीदी की गई। मगर इसका उपयोग आजतक नहीं किया गया। डीजे पर हाईकोर्ट के आदेश का पूर्ण विवरण जनहित याचिका क्र. 112/2016 दिनांक 06.12.2016 नितिन सिंघवी विरूद्ध छत्तीसगढ़ स्टेट में उपलब्ध है।

क्या कहा था कोर्ट ने कानून का पालन कराने वालों के बारे में

माननीय उच्च न्यायालय ने विशेष रूप से उल्लेखित किया था कि ध्वनि प्रदूषण से संबंधित कानून का छत्तीसगढ़ में कोई मतलब नहीं रह गया है। कोई भी कानून का पालन करने के लिये तत्पर नहीं है। यहां तक कि कानून का पालन करवाने वाली एजेंसियां तथा अधिकारी ध्वनि प्रदूषण को लेकर बहरे हो गये है। दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही न होने से ध्वनि प्रदूषण करने को बढ़ावा मिल रहा है। अधिकारी बहरे हो सकते है परंतु कोर्ट को कानून का पालन करवाना सुनिश्चित करना है।

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क्या दिया था आदेश

1. अवैध घोषित किये गाड़ियों में साउण्ड बॉक्स रख कर डीजे बजाना, अधिकारियों पर सीधे होगी अवमानना की कार्यवाही

माननीय उच्च न्यायालय ने आदेशित किया था कि गाड़ियों में साउण्ड बॉक्स लगा कर (डीजे) बजाना मोटर व्हीकल नियमों का उल्लंघन होता है। इसलिये कलेक्टर तथा एस.पी. सुनिश्चित करें कि कोई भी वाहन पर साउण्ड बाक्स न बजे। अगर कोई व्यावसायिक वाहन पर साउण्ड बाक्स मिलता है, तो साउण्ड बाक्स को हटाकर वाहन मालिक को नोटिस दिया जावेगा एवं ऐसे वाहनों को दिये गये नोटिस का रिकार्ड रखा जावेगा। द्वितीय बार गलती करते पकड़े जाने पर उस वाहन का परमिट निरस्त किया जावेगा तथा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश बिना उस वाहन को कोई भी नया परमिट जारी नहीं किया जावेगा। माननीय उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि कानून का उल्लंघन पाये जाने पर संबंधित अधिकारी पर माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना कार्यवाही होगी।

2. स्कूल, कालेज, अस्पताल, कोर्ट, आफिस से 100 मीटर ऐरियल डिस्टेन्स पर लाउड स्पीकर बजने पर जप्त करें, द्वितीय बार पकड़ाने पर हाईकोर्ट के आदेश के बिना जप्ती वापस नहीं की जा सकेगी

माननीय उच्च न्यायालय ने आदेशित किया था कि स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, कोर्ट, ऑफिस से 100 मीटर ऐरियल डिस्टेन्स पर लाउड स्पीकर बजने पर कलेक्टर, एस.पी., डी.एस.पी. या प्राधिकृत अधिकारी को ध्वनि विस्तार यंत्रों को जप्त करना होगा जिसको बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति के वापस नहीं किया जावेगा। ध्वनि यंत्रों के मालिक द्वारा शपथ-पत्र प्रस्तुत करने पर कवह आगे गलती नहीं करेगा ध्वनि यंत्रों के मालिक को वापस किया जा सकेगा। द्वितीय गलती पर जप्त किये गये यंत्रों को माननीय उच्च न्यायालय के आदेश बिना वापस नहीं किया जावेगा।

3. शादियों, जन्मदिनों, धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रमों में तेजी से ध्वनि यंत्र बजाने वालों पर की जानी है माननीय उच्च न्यायालय के आदेश न मानने पर अवमानना की कार्यवाही, जप्त ध्वनि यंत्रों की वापसी हाईकोर्ट की अनुमति के प्श्चात् ही संभव

माननीय उच्च न्यायालय ने कहा था कि जब भी उपरोक्त कार्यक्रमों में निर्धारित मापदन्डों से अधिक ध्वनि विस्तार होने पर अधिकारी जावे तो वे लोगों की भावना की कद्र करने हुये नम्रता पूर्वक उन्हें माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने को कहें। अगर आयोजक विरोध करता है तो उसके विरूद्ध कोर्ट में कार्यवाही की जावे तथा इसके अतिरिक्त संबंधित अधिकारी आयोजक के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करने पर अवमानना का प्रकरण उच्च न्यायलय के दायर में करें। अगर आयोजक माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने के लिये तैयार हो जाता है तो उसके ध्वनि यंत्र जप्त नहीं करे परंतु अगर आदेश नहीं माना जाता है तो ध्वनि यंत्रों को जप्त कर तब तक नहीं छोड़ा जावेगा जब तक कि माननीय उच्च न्यायालय से अनुमति नहीं ली जाती। परंतु अगर ध्वनि विस्तार यंत्र टेन्ट हाउस, साउण्ड सिस्टम प्रदायकत्र्ता या डी.जे. वाले का पाया जाता है तो उसे सीधे जप्त किया जावेगा।

4. प्रेशर हार्न अथवा मल्टी टोन्ड हार्न प्रतिबंधित, दोबारा गलती करने पर जप्त वाहन की वापसी हाईकोर्ट की अनुमति के बाद ही संभव

माननीय उच्च न्यायालय ने आदेशित किया था कि मुख्य रूप से पब्लिक ट्रांसपोर्ट/व्यावसायिक वाहनों पर तेजी से बजने वाले हॉर्न बजाये जाते है अतः फिटनेस सर्टिफिकेट प्रदाय करते वक्त संबंधित अधिकारी सुनिश्चित करेगा कि उसमें तेजी से बजने वाले हार्न नहीं लगे हों।

अन्य अवसरों पर अगर प्रेशन हार्न अथवा मल्टी टोन्ड हार्न पाया जाता है तो संबंधित अधिकारी तत्काल ही उसे वाहन से निकालकर नष्ट करेगा तथा रजिस्टर में दर्ज करेगा। लोक प्राधिकारी इस संबंध में वाहन नंबर के साथ मालिक तथा चालक का डाटा बेस इस रूप् में रखेगा कि दोबारा अपराध करने पर वाहन जप्त किया जावे तथा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बिना ऐसे जप्त वाहनों को नहीं छोड़ा जा सकेगा।

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