रायपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में वैसे तो पर्यटन (Tourism) की अपार संभावनाएं हैं। प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने पर्यटन मंडल भी बनाया गया है। अधिकारियों की खानापूर्ति की वजह से पर्यटन तो नहीं बढ़ा मगर पर्यटन मंडल (Tourism Board) का बेड़ा जरूर गर्क होता जा रहा है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल (Chhattisgarh Tourism Board) द्वारा उठाया जाने वाला अगल कदम इस ओर इशारे कर रहा है।

दरअसल छत्तीसगढ़ में पर्यटन को बढ़ावा देने, विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार की तरफ से एक अधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल लंदन (London) जाने की तैयारी में हैं। जिसमें एक भी सदस्य छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल को नजदीक से नहीं जानता है। साफ शब्दों में यह कह सकते हैं कि प्रतिनिधिमंडल में एक भी अधिकारी ऐसा नहीं है जिसने छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों का दौरा किया हो। यह बात केवल यही खत्म नहीं होती लंदन जाने वाली टीम में एक सदस्य को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है लेकिन बाकी सदस्य अंग्रेजी के ज्ञानी नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि यह टीम अंग्रेजी पर्यटकों को प्रजेंटेशन के जरिए क्या समझाएंगे।

ये हैं प्रतिनिधि मंडल में शामिल

पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू, विभागीय सचिव अंबलगन पी, पर्यटन मंडल की प्रबंध संचालक इफ्फत आरा, प्रतिनियुक्ति पर आये लेखाधिकारी मयंक गुप्ता समेत 6 सदस्य।

अनुभवहीन प्रतिनिधिमंडल

पर्यटन विभाग के प्रतिनिधिमंडल के किसी भी सदस्य के पास पर्यटन स्थलों और वहां उपलब्ध जानकारी के बारे में गहरी जानकारी नहीं है। प्रदेश में दिसंबर में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद ताम्रध्वज साहू को पर्यटन विभाग (Tourism Department) का जिम्मा सौंपा गया है लेकिन दस महीने बीत जाने के बाद भी मंत्री महोदय ने पर्यटन स्थल का दौरा तक नहीं किया है। इतना ही नहीं मंत्री जी ने पर्यटकों की सुविधा की जानकारी भी नहीं ली।

विशेष सचिव अंबलगन पी को हाल में ही पर्यटन की जिम्मेदारी मिली है इतने कम समय में उन्हें विभाग के कामों की ही पूरी जानकारी नहीं हो पाई है। पर्यटन मंडल की प्रबंध संचालक इफ्फत आरा एक महीने पहले मंडल की जिम्मेदारी में आईं हैं। इफ्फत आरा ने भी पर्यटन स्थल का दौरा तक नहीं किया है। मंडल के लेखाधिकारी हाल में ही प्रतिनियुक्ति में आए हैं।

पर्यटन मंडल की आर्थिक हालात बदतर !

छत्तीसगढ़ के पर्यटन को देश में अब तक जो पहचान मिलनी थी वो तो नहीं मिली मगर इस दौरे के बाद से विदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर पर्यटन मंडल पर करोड़ो का भार जरूर आने वाला है। दरअसल पर्यटन मंडल की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है पर्यटन मंडल की आर्थिक हालत को देखते हुए भाजपा (BJP) सरकार ने विधानसभा चुनाव के पहले अरबों रुपये की लागत से बने रिजोर्ट्स, मोटल को निजी हाथों में सौंप दिया था।

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