मामला : कोचिंग में पढ़ने वाली युवती को अपने टीचर से प्यार हो गया था, बाद में कर ली थी आत्महत्या

टीआरपी डेस्क : सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या के एक मामले में अपने फैसले में कहा कि किसी महिला को “कॉल-गर्ल” कहकर मौखिक रूप से गाली देना आत्महत्या के लिए उकसाने के प्रयास तहत नहीं आएगा। दरअसल एक युवक और उसके माता-पिता पर आरोप था कि उन्होंने लड़की के खिलाफ अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया था, जिसकी वजह से लड़की ने आत्महत्या कर ली।

क्या है कोर्ट की राय

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस आर.सुभाष रेड्डी की बेंच ने बंगाल सरकार की अपील को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। पीठ ने कहा कि गुस्से में कहे गए एक शब्द को, जिसके परिणाम के बारे में कुछ सोचा-समझा नहीं गया हो, उकसावा नहीं माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने एक पुराने फैसले में एक व्यक्ति को पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मुक्त कर दिया था।

पश्चिम बंगाल का मामला

बता दें कि यह मामला पश्चिम बंगाल का है, जहां 15 साल पहले एक कोचिंग में पढ़ने वाली युवती को अपने टीचर से प्यार हो गया था। इसके बाद दोनों ने शादी करने का फैसला किया और लड़की 5 मार्च, 2004 को लड़के के परिजनों से मिलने और शादी की बात करने पहुंची। बताया जा रहा है कि लड़के के माता-पिता भड़क गए और उन्होंने लड़की को कॉल गर्ल कह दिया। इसके बाद लड़की ने आत्महत्या कर ली और सुसाइड नोट में लड़के और उसके माता-पिता को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया।

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