रायपुर। आयुष्मान भारत योजना और स्मार्ट कार्ड योजना के एडिशनल सीइओ विजेंद्र कटरे की संविदा अवधि

को सरकार ने आगे नहीं (एक्सटेंशन) बढ़ाया है। इसके बाद भी वे विभागीय कार्यों में दखल दे रहे हैं।

विजेंद्र कटरे की जगह संचालनालय में डॉ. श्रीकांत राजिमवाले को दोनों ही योजनाओं का प्रभारी अधिकारी

नियुक्त कर दिया गया है।

 

नियमों की धज्जियां उड़ाकर मनमानी में उतारू

आपको बता दें कि आयुष्मान भारत योजना और स्मार्ट कार्ड योजना के एडिशनल सीइओ विजेंद्र कटरे की

30 सितंबर संविदा अवधि खत्म हो चुकी है, जो तीन माह बढ़ाई गई थी। मगर बुधवार को जन स्वास्थ्य योजना

स्टेट नोडल एजेंसी पुराना नर्सिंग हॉस्टल डीकेएस परिसर के ऑफिस में विजेंद्र कटरे टेंडर प्रक्रिया के परामर्श

में शासकीय अधिकारियों के साथ ऑफिस में बैठे दिखाई दिए। ऐसा पहली बार नहीं है कि वे विभागीय कार्यों

में दखल दे रहे हैं। इससे पहले भी विजेंद्र कटरे विभागीय कार्यों और बैठकों में दखल देते देखे गए हैं।

बाकायदा फोटोग्राफ्स में विजेंद्र कटरे की उपस्थिति ये साफ़ जाहिर कर रही है कि वे किस तरह नियमों की

धज्जियां उड़ाकर मनमानी में उतारू हो गए हैं.

 

बता दें कि विजेंद्र को लेकर ढेरों आपत्तियां थीं। उनके विरुद्ध इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए),

हॉस्पिटल बोर्ड द्वारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से लिखित शिकायत की थी,

जिस पर जांच हुई और जांच रिपोर्ट के आखिरी बिंदु के आदेश में उल्लेखित था- प्रकरण माननीय मंत्रीजी के

संज्ञान में लाया गया। मंत्रीजी द्वारा लेख किया गया कि कटरे वर्ष 2011 से कार्यरत हैं, अपने पहले के कार्य के

अतिरिक्त यहां सात साल के कार्य का अनुभव है। उनके कार्य की सराहना संचालकों द्वारा की गई है।

राज्य में नागरिकों के स्वास्थ्य सेवाओं के संबंध में महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में बीच

अवधि में उनकी सेवाओँ को बंद करना उचित नहीं होगा। अतः कटरे को 30 सितंबर 2019 तक यथावत

कार्य करने दिया जाए। नए एसीइओ की नियुक्त की प्रक्रिया करें साथ ही 1 अक्टूबर 2019 से नियुक्त करें।

 

TRP ने प्रमुखता से उठाया था मुद्दा

द रूरल प्रेस ने “राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के विवादित ACEO विजेंद्र कटरे की नियुक्ति समाप्त, अब लगे पद एक्सटेंशन की जुगाड़ में” नामक शीर्षक से खबर को प्रमुखता से उठाया था. इस खबर के बाद विजेंद्र कटरे के पद एक्सटेंशन पर ब्रेक लग गया और उनके मंसूबो पर पानी फिर गया था. हालांकि इसके बावजूद विजेंद्र कटरे ने नियमों को मानना मुनासिब नहीं समझा और गैर कानूनी तरीके से विभागीय कार्यों में दखल के साथ ही तल्ख़ अंदाज में कर्मचारियों को हिदायत देते भी नजर आ रहे हैं. अब सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसे अधिकारियों के गैरकानूनी हस्तक्षेप पर कब और कौन कार्यवाही करेगा।

उच्चाधिकारियों का मिल रहा सरंक्षण: डॉ. राकेश गुप्ता

डॉ राकेश गुप्ता का कहना है कि विजेंद्र कटरे को उच्चाधिकारियों का सरंक्षण मिल रहा है. यही वजह है कि पद में ना होने के बावजूद वे बेख़ौफ़ गैर कानूनी तरीके से विभाग के कार्यों में दखल दे रहे हैं. स्टेट नोडल की बैठकों में शामिल होकर निर्णय लेने वाले कमेंट पास कर रहे हैं.

बैठकों में शामिल हो सकते हैं, लेकिन सिग्नेचरी अधिकार नहीं: राकेश चौबे

सामाजिक कार्यकर्ता राकेश चौबे का कहना है कि राज्य में जो संविदा नियम बने हुए हैं, उसके अंतर्गत विजेंद्र कटरे को बैठकों में शामिल होने का और निर्णयों में भाग लेने का अधिकार है. लेकिन सिग्नेचरी अधिकार विजेंद्र कटरे के पास नहीं हैं.

सरकार आदेश जारी कर कार्यवाही करे: ममता शर्मा

सामाजिक कार्यकर्ता ममता शर्मा का कहना है कि आखिरकार घोटाले के मास्टरमाइंड विजेंद्र कटरे को किस बड़ी हस्ती का सरंक्षण प्राप्त है, पहले इस बात की जांच होनी चाहिए। कांग्रेस सरकार अपना चाल-चरित्र-चेहरा साफ़ सुथरा रखना चाहती है तो तत्काल आदेश जारी कर मामले की जांच करें।

स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव, संचालक से नहीं हो सकी बात

इस मामले पर पक्ष जानने द रूरल प्रेस की टीम ने स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव, स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारीक़, संचालक स्वास्थ्य सेवाएं नीरज बंसोड़ से दूरभाष पर संपर्क किया, लेकिन किसी से भी इस संबंध में चर्चा नहीं हो सकी.

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